ग्रामीण बताते हैं कि पास के सीमावर्ती क्षेत्र में लगे उड़ीसा के गांव के तस्कर देर रात जंगल में पहुंचते हैं। इसके बाद जंगल में पेड़ों को काटकर बेधडक़ उसे चारपहिया वाहन से उड़ीसा की ओर ले जाया जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि मामले की जानकारी रेंज के रेंजर के साथ ही सभी जिम्मेदार अधिकारियों को है। इसके बाद भी वे जंगल का दौरा करना उचित नहीं समझते।
धुरवागुड़ी रेंज के टाइगर रिजर्व रेंजर एनके गंगवेर ने बताया कि दौरा नहीं करने का ग्रामीणों का आरोप निराधार है। मेरे पास स्टाफ भी बहुत कम है। वहीं, जंगल काटे जाने का जो आरोप ग्रामीण लगा रहे हैं, उसकी जांच करवाउंगा। जांच के दौरान जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
रेंजर ड्यूटी करना छोड़ मैनपुर में करते हैं निवास
ग्रामीणों का कहना है कि रेंज के वनपरिक्षेत्र अधिकारी एनके गंगवेर धुरवागुड़ी स्थित अपने मुुख्यालय में रहना पसंद नहीं करते। ग्रामीण बताते हैं कि वनकर्मियों से उन्हें जानकारी मिली है कि रेंजर हफ्ते में सिर्फ दो दिन ही धुरवागुड़ी आते हैं, बाकी दिन वह मैनपुर मुख्यालय में रहकर ही अपना ड्यूटी चलाने का दावा करते हैं। बताया गया है कि रेंजर की अनपुस्थिति में एक डिप्टी रेंजर के साथ ही दो से तीन वनकर्मियों के भरोसे पूरे रेंज की व्यवस्था चलाई जाती है।
रेंज के घेराव की तैयारी में ग्रामीण
पिछले दिनों मामले में विधायक डमरूधर पुजारी को आवेदन देने पहुंचे पीपलखुंटा वनसमिति के अध्यक्ष नीलांबर के साथ ही गांव के पंच रूपधर ने बताया था कि पूरा जंगल साफ हो रहा है, लेकिन अधिकारी इसके बाद भी मौन हैं। ग्रामीणों ने विधायक से उचित कदम उठाए जाने की गुहार लगाई थी।
ग्रामीणों ने साफ चेतावनी दी कि पीपलखुंटा के साथ ही आसपास के 5 गांव के ग्रामीणों ने बैठक कर निर्णय लिया है कि वे किसी भी शर्त में जंगल को कटने नहीं देंगे। मामले को लेकर जिले के कलेक्टर को आवेदन कर वस्तुस्थिति से अवगत करवाएंगे। वहीं आवेदन करने के हफ्ते दिन बाद यदि उचित कार्रवाई नहीं हुई तो पूरा गांव धुरवागुड़ी रेंज के बाहर मुख्यमार्ग में आंदोलन कर चक्काजाम करने पर मजबूर हो जाएगा।