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बालोद

पीपे के नाव से जलाशय पार कर स्कूल जाने वाली छात्राओं के गांव में नहीं है मूलभूत सुविधाएं

पत्रिका में प्रमुखता से समाचार प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन ग्राम राहटा के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गया है। ग्राम रायगढ़ मुख्यमार्ग तक सड़क बनाया जाएगा। ज्ञात हो कि इस गांव में एक क्या कई तरह की समस्याएं हैं।

बालोदJan 09, 2019 / 12:38 am

Chandra Kishor Deshmukh

balod patrika

पीपे के नाव से जलाशय पार कर स्कूल जाने वाली छात्राओं के गांव में नहीं है मूलभूत सुविधाएं

बालोद @ patrika. पत्रिका में प्रमुखता से समाचार प्रकाशन के बाद जिला प्रशासन ग्राम राहटा के लिए पूरी तरह सक्रिय हो गया है। ग्राम रायगढ़ मुख्यमार्ग तक सड़क बनाया जाएगा। ज्ञात हो कि इस गांव में एक क्या कई तरह की समस्याएं हैं। घने जंगल के बीच बसे ग्राम पंचायत मडिय़ाकट्टा के आश्रित ग्राम राहटा में अब बिजली, पानी, सड़क सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं मिलेगी।

मनरेगा से बनेंगा रायगढ़ तक चार किमी सड़क
गांव में आने-जाने के लिए अच्छी सड़क ही नहीं है जिसके कारण यहां के लोगों को नाव से जलाशय पार कर आना-जाना करना पड़ता है। अब ग्रामीणों की वर्षों पुरानी मांग चार किमी की सड़क पूरी होगी। कलक्टर ने आरईएस व वन विभाग को निर्देश देकर तत्काल सड़क बनाने कहा है। यहां दो पुल और दो छोटी पुलिया बनाने पड़ेंगे।

मडिय़ाकट्टा में हाईस्कूल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए बनाएंगे प्रस्ताव
ग्रामीणों की मांग पर यहां स्वास्थ्य व स्कूल की बहुत समस्या है। किसी का स्वास्थ्य खराब हो गया, तो इलाज के लिए डौंडीलोहारा जाना पड़ता है। हाई स्कूल की पढ़ाई करने जलाशय पार करने की मजबूरी होती है। ग्रामीणों का कहना है अगर मडिय़ाकट्टा में हाई स्कूल व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोल दिया जाए तो इस वन क्षेत्र के लगभग 10 गांव के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। ग्रामीणों की इस मांग पर कलक्टर ने कहा इस पर प्रस्ताव बनाया जाएगा।

टीका लगाने जाना पड़ता है 7 किमी दूर पैदल
जानकारी दी कि यहां आज तक कोई शासकीय चिकित्सक नहीं आया और न ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता। यहां अगर बच्चों को टीका लगाना होता है तो शासकीय चिकित्सक उसे राहटा गांव से 7 किमी दूर ग्राम मडिय़ाकट्टा बुलाते हैं। फिर ये महिलाएं अपने नवजात बच्चों को लेकर मडिय़ाकट्टा जाते हैं। पेंशनरों के लिए भी व्यवस्था की जा रही है।

छात्राएं बोली सपने जैसा लगा रहा
छात्रा प्रीति, कांति व पूनम जब नगर सेना की बोट से वापस आए तो कहा उनके लिए यह पल यादगार बन गया है। कभी सोचा नहीं था इस तरह की राहत मिलेगी। पर राहत मिली तो बड़ी राहत, क्योंकि इन छात्र-छात्राओं को तैरना नहीं आता और नाव चलाकर जोखिम लहरों के बीच जलाशय पार कर स्कूल जाते थे।

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