शिक्षकों ने बदली स्कूल की सूरत, मिशाल बना उमरी माध्यमिक शाला
प्राईवेट स्कूलों को छोड़कर पढऩे आ रहे बच्चे
शिक्षकों ने बदली स्कूल की सूरत, मिशाल बना उमरी माध्यमिक शाला
कटंगी। दिल में कुछ कर गुजरने की प्रबल इच्छाशक्ति हो तो असंभव कुछ भी नहीं है। इसी की एक बड़ी मिशाल विकासखंड कटंगी की शासकीय नवीन माध्यमिक शाला उमरी के शिक्षकों ने मिलकर पेश की है। यह सरकारी स्कूल मॉडल स्कूल के रुप में पहचान बना रहा है। आलम यह है कि उमरी के अभिभावक जो कभी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे थे। वह अब अपने बच्चों का इस स्कूल में दाखिला करवा रहे हैं। 4 साल पहले इस सरकारी पाठशाला में मात्र 23 बच्चे अध्ययन कर रहे थे। आज यह आंकड़ा 85 तक पहुंच गया है। उमरी के निवासी बताते हंै कि उनके बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं। वह इस सरकारी स्कूल में बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहते हैं, लेकिन प्राईवेट स्कूल टीसी नहीं दे रहे हैं।
साल 2015 में इस स्कूल की जिम्मेदारी लेते ही शिक्षक कमलेश अमुले ने साथी शिक्षक दिनेश कुमार पटले और नेहा पटले तथा जनसहयोग से स्कूल की तस्वीर ही बदल डाली। उन्होंने यहां सबसे पहले रचनात्मक गतिविधियों व नवाचारी प्रयोग से बच्चों में रुचि जगाई। इसके बाद रहन-सहन और साफ-सफाई पर जोर दिया। जब बच्चों में सुधार हुआ तो स्कूल की व्यवस्था में सुधार करने का मन बनाया। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने स्वंय की पूंजी खर्च की और स्कूल की बदलती तस्वीर को सोशल मीडिया में साझा किया। इसके बाद स्कूल को बदलने के लिए लगातार जनसहयोग मिलते गया। आगामी माह में इस स्कूल की एक कक्षा को स्मार्ट क्लास बनाने की दिशा में काम चल रहा है। जिससे बाद बच्चे कम्प्यूटर चलाना और टीवी के माध्यम से शिक्षा अर्जित करेंगे। शिक्षकों के इस प्रयास से आज इस स्कूल की अलग पहचान है।
कमलेश अमुले ने बताया कि आधारभूत संरचना की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित होती है। सरकारी स्कूलों के बच्चे भी सुविधाओं के अभाव में मन मुताबिक पढ़ाई नहीं कर पाते। इसलिए सबसे पहले बच्चों और उनके अभिभावकों को सरकारी शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के लिए विद्यालय परिसर की बाउंड्रीवाल में अलग-अलग विषयों से जुड़ी पेटिंग्स बनवाई गई। जिसमें स्कूल चले अभियान, शिक्षा का अधिकार के अलावा विद्यार्थियों को जानकारी उपलब्ध कराने के लिए खेल दिवस, जल चक्र, जल सेना, वायु सेना, थल सेना दिवस, सौर मंडल, योगा दिवस, वल्र्ड पापुलेशन डे, वल्र्ड वाईडलाईफ डे, किसान दिवस, वायु मंडल की सरंचना, अंर्तराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस से जुड़ी पेंटिग बनाई गई। इसके साथ ही पेंटिग के माध्यम से प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला, भारतीय कृषि, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी बातों से जोड़ा गया। कक्षाओं में विषयवार पेंटिंग तैयार कराई गई, ताकि बच्चे आसानी से अध्ययन कर सकंे। सभी द्वीपों एवं महासागरों की जानकारी देने के लिए स्कूल परिसर में एक आकृति तैयार की गई, जिससे बच्चों को इनके बारे में समझने में आसानी होने लगी। उन्होंने बताया कि सरकारी स्कूल की अव्यवस्थाओं वाली अवधारणा को बदलने के लिए पूरे स्टाफ की भूमिका रही। स्कूल प्रांगण में गार्डन, शाला परिसर में पौधा रोपण, शाला की रंगाई पुताई, फर्श पर टाइल्स आदि कार्य के लिए सरकारी मद के अलावा अतिरिक्त राशि के लिए व्यक्तिगत स्टाफ एवं अन्य जनसहयोग से खर्च किया गया।
गौरतलब हो सड़क से गुजरता हर पढ़ा-लिखा और अनपढ़ व्यक्ति इस स्कूल की प्रशंसा करने से नहीं चूकता। विकासखंड स्रोत समन्वयक दर्पण गौतम भी इस स्कूल के शिक्षकों के प्रयास की सराहना करते हुए अन्य सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भी इस दिशा में कदम उठाने की प्रेरणा लेने की बात कहते हैं।
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