जिस बूथ पर सरताज, वहां क्या आज; जिस बूथ पर भाजपा-कांग्रेस को सर्वाधिक वोट, पांच साल बाद भी सुविधाओं का अभाव
जिस बूथ पर सरताज, वहां क्या आज; जिस बूथ पर भाजपा-कांग्रेस को सर्वाधिक वोट, पांच साल बाद भी सुविधाओं का अभाव
जिस बूथ पर सरताज, वहां क्या आज; जिस बूथ पर भाजपा-कांग्रेस को सर्वाधिक वोट, पांच साल बाद भी सुविधाओं का अभाव
विधानसभा- पुष्पराजगढ़
बूथ क्रमांक- 150, 79
मतदान केन्द्र- करौंदी, बसंतपुर
2013 में मतदान- 911, 835
कांग्रेस को मिले मत- 709, 606 जिस बूथ पर भाजपा-कांग्रेस को सर्वाधिक वोट, पांच साल बाद भी सुविधाओं का अभाव
पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र चार अलग अलग क्षेत्रों से विधानसभा २०१३ चुनाव में कांग्रेस-भाजपा को सर्वाधिक वोट हासिल हुए थे। लेकिन वोटरों ने जिन वादों पर भरोसा करके वोटिंग किया था वे सपने आज भी अधूरे हैं। जनता की समस्याओं के निराकरण में कांग्रेस पिछड़ी साबित हुई, उधर भाजपा को जहां कम वोट मिले थे वहां भी ध्यान नहीं दिया। लेकिन जहां उम्मीद से ज्यादा वोट मिले उसपर भी खरे नहीं उतर पाए। विधानसभा २०१३ में जो मुद्दे और समस्याएं विधानसभा क्षेत्रों में रही थी, वह पांच साल बाद भी वहीं समस्याएं बनी हुई है।
कांग्रेस:
अनूपपुर। पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के राजेन्द्रग्राम मुख्यालय से १० किलोमीटर दूर करौंदी गांव तथा ४० किलोमीटर दूर बसंतपुर ग्राम पंचायत भवन। यहां पूरे जोहिली, सोनहरा, करौंदी, धरहरकला से लेकर बसंतपुर गांव व दुबसरा तथा कंचनपुर है। इलाके की अर्थ व्यवस्था पुस्तैनी कृषि व मजदूरी आधारित है। करौंदी और बंसतपुर गांव के किसान व मजदूर वर्षो से यही रहते आए हैं। सियासी दृष्टिकोण में इसी दो वार्डो के मतदाता रहे हैं। हालांकि रोजगार के अभाव में स्थानीय लोगों का मजदूरी व नौकरी के लिए लगातार पलायन की स्थिति बनी रही। विधानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में इस इलाके के करौंदी बूथ क्रमांक १५० तथा ७९ बंसतपुर पर मौजूदा विधानसभा क्षेत्र के विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को को पूरे विधानसभा में किसी भी बूथ के सर्वाधिक वोट मिले हैं। मोटे तौर पर क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण महरा, पनिका, मुस्लिम, बैगा व अगरिया मतदाताओं पर आधारित है। अनूपपुर जिला बनने से पूर्व शहडोल जिला पंचायत उपाध्यक्ष चुनाव क्षेत्र करौंदी होने के कारण तथा बसंतपुर में रिश्तेदारों के कारण फुंदेलाल सिंह मार्को का क्षेत्र में अधिक प्रभाव रहा है। यह कांग्रेस के परम्परागत वोटर तो नहीं रहे, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर फुंदेलाल सिंह व कांग्रेस से जुड़े रहे हैं। दोपहर के समय करौंदी गांव में पानी की मांग पर ग्रामीणों ने पास के कुंए के पास दौड़ लगाकर पानी की उपलब्धता कराई। हैंडपम्प गायब नजर आए। स्थानीय लोगों से बातचीत में पता चला कि क्षेत्र में पानी की समस्या पहले भी और आज भी बरकरार है। जनता पेयजल की सुविधा को लेकर परेशान है। पूरा पुष्पराजगढ़ क्षेत्र ही सडक़, पानी, बिजली, स्वास्थ्य तथा शिक्षा के लिए जिले का सबसे पिछड़ा क्षेत्र बना हुआ है। राजेन्द्रग्राम मुख्यालय में संचालित महाविद्यालय व लालपुर अमरकंटक केन्द्रीय विश्वविद्यालय के अलावा पुष्पराजगढ़ में अन्य कोई महाविद्यालय नहीं है। हालत पांच साल पूर्व जैसी ही बनी हुई है। ग्रामीण सडक़े खस्ताहाल बना हुआ है। मुख्य मार्ग के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। बसंतपुर गांव में फुंदेलाल सिंह की रिश्तेदारी के कारण क्षेत्र में अधिक प्रभाव रहा है। यहां भी पानी, बिजली, सडक़ और स्वास्थ्य की समस्या सबसे बड़ी समस्या है।
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विधानसभा- पुष्पराजगढ़
बूथ क्रमांक- 44, 05
मतदान केन्द्र- पड्री, पड़मनिया
2013 में मतदान- 790, 602
भाजपा को मिले मत- 509, 447
पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र का पडरी ग्राम पंचायत भवन तथा पडमनिया ग्राम पंचायत भवन मुख्य स्थल। यहां पूरे पड्री, पिपरहा, दुधमनिया गांव से लेकर खरसोल, पडमनिया, गिजरी गांव। दोनों ही गांवो के बीच लगभग ३५ किलोमीटर की दूरी। वनीय क्षेत्र के कारण अधिकांश भूमि पर जंगल व कृषि आधारित है। कमोबेश शासकीय मद में पॉल्ट्री फार्म योजना में स्वयं का फार्म व मुर्गा पालन व्यवसाय से जुड़े है। पड्री और पडमनिया के अधिकांश किसान और आदिवासी परिवार वर्षो से यही रहते आए हैं। सियासी दृष्टिकोण में इसी दो ग्राम पंचायत के मतदाता रहे है, हालांकि वनीय क्षेत्र के साथ रोजगार का अभाव में कुछ आदिवासी परिवारों का पलायन बाहर के लिए हुआ है। विधाानसभा चुनाव के परिपेक्ष्य में इस इलाकें में पड्री और पड़मनिया ग्राम पंचायतें हैं, जिसके बूथ कमांक ४४ पड्री तथा पड़मनिया बूथ क्रमंाक ०५ पर मौजूदा विधानसभा क्षेत्र हारे प्रत्याशी भाजपा के सुदामा सिंह को पूरे विधानसभा क्षेत्र के बूथ के सर्वाधिक वोट मिले थे। मोटे तौर पर क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण बैगा, कोल, गोंड सहित अन्य समुदाय आधारित मतदाता है। पूर्व पांच बार शहडोल संसदीय क्षेत्र के भाजपा सांसद रहे स्व. दलपत सिंह परस्ते के गृह ग्राम के आसपास इन गांवों में दलपत सिंह परस्ते का प्रभाव माना गया है। पड्री ग्राम पंचायत में दोपहर प्यास महसूस होने पर आसपास के घरों से पानी नहीं मिल सका। लोगों ने चंद दूरी गहरे कुंए की ओर इशारा किया, बारिश की पानी से भरा कुंआ पानी कम बीमार अधिक करने वाली लगी। ग्रामीणों से बातचीत में पता चला कि पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण क्षेत्र में पानी सबसे बड़ी समस्या है। आजादी के बाद से इस क्षेत्र में वर्ष २०१७ में बिजली के खम्भे और तारों को लोगों ने देखा। लेकिन यह बिजली भी आसपास के पांच-छह गांवों तक ही पहुंच सकी है। ग्रामीण बुल्ली बाई का कहना है कि मुख्य मार्ग के अलावा ग्रामीण सडक़ का नामोनिशान तक नहीं है। गर्मी के दिनों में एक-एक बूंद पानी के लिए लोगों को तीन-चार किलोमीटर दूर पहाड़ी से नीचे उतरना पड़ता है। ग्रामीण नीम सिंह का कहना है कि कोल मोहल्ले में अधिकांश परिवारों के पक्के मकान नहीं हैं। पडमनिया- सरई मार्ग की हालत सुधरी है, लेकिन उससे जुड़ी गांव की सडक़ों का हालत बदहाल है। क्षेत्र में ६ उपस्वास्थ्य केन्द्र स्थापित हैं, लेकिन आजतक कब खुले ग्रामीणों को पता नहीं। उच्च शिक्षा के लिए पडमनिया के अलावा दूर-दराज तक कोई उच्च शिक्षण संस्थान नहीं हैै। रोजगार का अभाव है। कृषि सीमित है, उद्योग धंधे का कहीं अस्तित्व नहीं है। हर गांव में दो-दो पानी टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं, लेकिन पानी कहां से आए किसी विधायक या हारे प्रतिनिधि ने केाई समाधान नहीं किया। बिजली की समस्याएं पूर्व की भांति बनी हुुई है। स्थानीय स्तर पर मूल सुविधाओं का अभाव है। लेकिन पिछले पांच सालों के दरमियान हारे हुए प्रत्याशी के साथ साथ जीते हुए प्रत्याशी ने भी गांव के विकास के लिए कोई पहल नहीं की। पिछले चुनाव के बाद दोनों प्रत्याशी ने कभी क्षेत्र का निरीक्षण तक नहीं किया है।
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