विविध भारत

Coronavirus: रेलवे की इतनी बड़ी तैयारी देखकर डरने की जरूरत है क्या?

रेलवे 20 हजार कोचों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करेगा।
इनमें 3.20 लाख से ज्यादा लोगों को रखा जा सकेगा।
5000 कोचों को क्वारेंटाइन में बदलने का काम तेजी से जारी।

train coach

नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर दुनिया में भारत की तैयारी और कड़े फैसले काफी हद तक कामयाब साबित हुए हैं। हालांकि मौजूदा हालात के बावजूद सरकार की तेजी यह दिखाती है कि लोगों को वाकई सुरक्षित रहने और डरने की जरूरत है। भारतीय रेलवे ने मंगलवार को कहा कि रेलवे अपने 20,000 पैंसेजर ट्रेन कोचों को क्वारंटाइन केंद्रों में तब्दील करेगा, ताकि बुरी स्थिति में 3.2 लाख से ज्यादा बेडों की व्यवस्था की जा सके। लेकिन यहां पर रेलवे का यह कदम इसलिए चिंताजनक है कि क्या वाकई में भारत में इतने ज्यादा क्वारेंटाइन बेडों की जरूरत पड़ सकती है।
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नेशनल ट्रांसपोर्टर ने कहा, “भारतीय रेलवे द्वारा निर्णय लिया गया है कि देश में क्वारंटाइन सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 20,000 कोचों को क्वारंटाइन या आइसोलेशन कोच में बदला जाएगा। कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने के लिए सशस्त्र बल मेडिकल सेवा, कई जोन के मेडिकल विभाग, आयुष्मान भारत, स्वास्थ्य मंत्रालय से परामर्श लिया गया।”
मंत्रालय के बयान के अनुसार, “इन मॉडिफाइड 20,000 कोचों में 3.2 लाख संभावित बेड की व्यवस्था की जा सकती है। 5000 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने का काम पहले ही शुरू किया जा चुका है। इन 5000 कोचों में 80,000 बेडों तक की क्षमता है और एक कोच में आइसोलेशन के लिए 16 बेड हैं।”
गौरतलब है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि देश में अन्य देशों की तुलना में कम कोरोना मामले हैं। संयुक्त स्वास्थ्य सचिव लव अग्रवाल ने मीडिया को बताया, विभिन्न देशों में हर दिन हजारों नए मामले और सैकड़ों मौतें हो रही हैं। भारत में 1,071 मामलों की पुष्टि हुई है और अब तक 29 मौतें हुई हैं। अग्रवाल ने कहा, 24 घंटे में कम से कम 92 नए मामलों की पुष्टि और 4 मौतें हुई हैं।
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स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रतिदिन देश में सामने आए कोरोना के नए मामलों और मौतों की संख्या के आधार पर एक विश्लेषण किया और पाया कि वायरस के प्रसार की दर विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि उन देशों में जनसंख्या का घनत्व भी भारत की तुलना में कम है।
अग्रवाल ने कहा, हमने देखा है कि हमारे देश में कोरोना मामलों की संख्या 100 से एक हजार तक पहुंचने में 12 दिन लगे। दूसरी ओर, इस अवधि में अन्य देशों में 3,500, 5,000, 6,000 और उच्च स्तर पर 8,000 मामले देखे गए हैं। ये विकसित देश हैं और भारत की तुलना में यहां कम आबादी है।
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संयुक्त स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि यह समय रहते किए गए उपायों और सरकार द्वारा उठाए गए लॉकडाउन जैसे कदमों के कारण ही हो सकता है। अग्रवाल ने कहा, लेकिन, जैसा कि मैंने कहा कि यह एक ऐसी लड़ाई है, जिसे हमें हर दिन लड़ना पड़ता है और हम संक्रामक बीमारी से जूझ रहे हैं। अगर कोई व्यक्ति लापरवाही दिखाता है, तो हमारी सारी मेहनत बेकार चली जाएगी। अग्रवाल ने कहा, फिलहाल हम अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में हैं।
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उन्होंने कहा कि भारत सरकार किसी भी विश्व स्वास्थ्य निकाय द्वारा कोरोना वायरस के प्रकोप पर कोई सख्त कदम उठाने के इंतजार में नहीं रही और इसने सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने से पहले ही रोकथाम के उपाय करने शुरू कर दिए थे।
अग्रवाल ने कहा, क्या हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा करने का इंतजार किया? हमने 13 दिन पहले ही रोकथाम के उपाय शुरू कर दिए थे। दिल्ली में मरकज प्रकरण के सवाल पर संयुक्त स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि यह गलती खोजने का समय नहीं है, बल्कि जिन इलाकों में कोरोना मामले पाए जाते हैं, वहां इससे लड़ने का समय है।

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