अपनों के प्यार से महरूम लोगों को है सम्मान की जरूर अपने जन्मदिन पर प्रधानाचार्य ने कहा कि हमनें इसे इस तरीके से सेलिब्रेट करने को सोचा कि जो लोग अपनों के प्यार से महरूम और वंचित हैं, उनको प्यार और सम्मान की जरूरत है। ये वो सम्मान और प्यार है, जो उन्हें उनकी औलादों के द्वारा नहीं मिला। हमनें सोचा आज उनको परिवार वाला टच दिया जाए, वो फील कराया जाए इसलिए वृध्दा आश्रम में जन्मदिन मनाया।
श्रवण कुमार जैसों की संस्कृति में इधर आ रही गिरावट उन्होंंने कहा कि ये दुर्भाग्य है कि हमारी संस्कृति कभी ये नहीं रही। हमारे देश में तो श्रवण कुमार जैसे लोग पैदा हुए, और भी बहुत सारी औलादों ने ऐसे कृतिमान स्थापित किए हैं। पता नही क्या वजह है के हमारी संस्कृति में इधर गिरावट आ रही है। निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में पांच मिनट के लिए काउंसलिंग की जरूरत है कि हम अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान डेवलेप कर सकें। ये हमारी ड्यूटी है और इस ड्यूटी के तहत प्रतिदिन हम कुछ न कुछ बताते भी है। अभी तक तो नैतिकता के आधार पर हम ये सोचते रहे के नैतिक रूप से शायद ये बदल जाए। लेकिन ऐसा नही हुआ तो कड़े प्राविधान और कानून होना चाहिए।
होने चाहिए कड़े प्राविधान उन्होंने कहा कि बुढ़ापे में शरीर कमजोर हो जाता है। ऐसी अवस्था में हमारे माता-पिता व बुजुर्गों को हमारी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए ये हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने माता पिता की संवा करें और जो उनकी सेवा नहीं करते हैं उनके लिए कड़े प्राविधान होने चाहिए।