42 साल के हॉर्नर पर आरोप था कि उन्होंने एक बच्ची के साथ यौन शोषण किया। उन पर यह आरोप भी लगा कि उन्होंने अपने फीमेल डॉग ‘लूसी’ पर गोली चलाई ताकि कहीं वह पुलिस के सामने किसी तरह से उनका गुनाह जाहिर न कर दे। लेकिन बाद में फीमेल डॉग अपने नए मालिक के साथ पाई गई और हॉर्नर भी सजा से बच गए। लैब्राडोर नस्ल की यह फीमेल डॉग जिसका नाम ‘लूसी’ है, आने मालिक से साथ खुश है। हालांकि केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कोई सर्वसम्मत फ़ैसला नहीं दिया।
गैर लाभकारी कानूनी संस्थान ओरेगन इनोसेंस प्रोजेक्ट हॉर्नर के केस की समीक्षा कर रही थी। ऐसा माना गया था कि इस कई मुकदमे में कई खामियां पाई गई थीं। स्थानीय सरकारी वकील जॉन हमल से केस पर कुछ आपत्ति जताई थी। अदालत में इस मामले को लेकर तीखी बहस हुई। हॉर्नर का कहना था कि लूसी नामक फीमेल डॉग ज़िंदा है और उन्होंने उसे मारने की कोशिश नहीं की । जबकि अभियोजन पक्ष ने कहा कि वह इस मामले में कड़ी से कड़े सजा के पात्र हैं। हॉर्नर के इस दावे के बाद ओरेगन इनोसेंस प्रोजेक्ट और सरकारीअधिकारियों ने लूसी को ढूंढने की काफी कोशिश की। बाद में ओरेगन कोस्ट में लूसी और उसके मालिक को ढूंढ निकाला गया।
फीमेल डॉग लूसी के मिलने के बाद यह साबित हो गया कि बच्ची ने ग़लत बयान दिया था। जोशुआ हॉर्नर को इसके बाद रिहा कर दिया गया। जज ने कहा कि यह मामला पूरी तरह फर्जी सबूतों के आधार पर बनाया गया था।