बताया जा रहा है कि महिला चेकअप के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल आई थी। यहां जांच पश्चात डॉक्टरों ने उसे संभवत: यह कहकर घर जाने की सलाह दी थी कि अभी प्रसव का समय नहीं हुआ है। लेकिन खस्ताहाल सड़क पर कई बार झटके खाने के बाद ऐसी स्थिति बन गई।
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सरगुजा जिले के बतौली क्षेत्र के ग्राम गोविंदपुर निवासी पातरसाय की 28 वर्षीय पत्नी महेश्वरी को गुरुवार को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे शांतिपारा अस्पताल लेकर गए। जांच के बाद यहां के डॉक्टरों द्वारा उसे महतारी एक्सप्रेस से अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया।
लेकिन यहां अस्पताल में डॉक्टर ने संभवत: यह कहा कि अभी प्रसव का समय नहीं हुआ है, इस पर परिजन उसे छाबड़ा बस से घर ले जाने निकले। महिला पीछे की सीट पर बैठी थी। बस अंबिकापुर-रायगढ़ एनएच-43 की खस्ताहाल गड्ढों में तब्दील सड़क से गुजर रही थी।
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बस में कई झटके लगने के बाद शाम लगभग 6.30 बजे महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। बस में साथ रहे परिजन जब तक कुछ कर पाते, इससे पहले महिला ने वाहन में ही एक बालक को जन्म दे दिया।
पास के अस्पताल में कराया गया भर्ती
बस में महिला की डिलीवरी होने के बाद परिजनों ने इसकी सूचना महतारी एक्सप्रेस को दी। इसके बाद महतारी शांतिपारा बस स्टैंड पहुंची और प्रसूता व बच्चे को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शांतिपारा में लाकर भर्ती कराया गया। यहां के डॉक्टरों के अनुसार जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।