इस योजना में गैर सरकारी स्कूलों के 40 हजार विद्यार्थी ही इस दायरे में आए हैं। यह योजना मात्र स्कूली विद्यार्थियों के लिए नहीं बल्कि सभी महाविद्यालयों पर भी लागू होती है। राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में वर्षों से विद्यार्थी दुर्घटना बीमा योजना संचालित हो रही हैं। इस योजना में विद्यार्थी की मौत होने पर एक लाख रुपए और आंशिक विकलांग होने पर चिकित्सक की सिफारिश के आधार पर राशि प्रदान की जाती है।
इसके लिए कक्षा 1 से 10 वीं तक के विद्यार्थियों के लिए प्रीमियम 50 रुपए है जबकि महाविद्यालयी कक्षाओं के लिए इसका प्रीमियम 100 रुपए प्रति विद्यार्थी है। इस बीमा योजना के दायरे में सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालय और महाविद्यालय सभी आते हैं। गैर सरकारी महाविद्यालयों में बीएड कॉलेज, डिग्री कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज आदि सभी शामिल हैं। हालात यह हैं कि जिले में 73 स्कूलों ने ही विद्यार्थियों का बीमा कराया है जबकि गैर सरकारी महाविद्यालयों को इस बीमे से कोई लेना-देना नहीं है। इसका नुकसान जब अभिभावकों को उठाना पड़ता है जब किसी अनहोनी में विद्यार्थी की मौत हो जाती है। ऐसे में यह बात सामने आती है कि 50 रुपए प्रीमियम से बीमा कराया होता तो परिजनों को बीमा राशि मिल सकती थी जो इसके हकदार थे। सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के बीमे का प्रीमियम सरकार वहन करती है।
यह है अलवर जिलेकी स्थिति गैर सरकारी स्कूलों की संख्या-
कक्षा 1 से 8 वीं तक – 1125 कक्षा 9 से 12 वीं तक – 1074 अलवर जिले में बीएड कॉलेज- 65 अलवर जिले में डिग्री कॉलेज- 80
कक्षा 1 से 8 वीं तक विद्यार्थियों की संख्या गैर सरकारी स्कूलों में- 1 लाख 32 हजार 243 कक्षा 9 से 12 वीं तक विद्यार्थियों की संख्या गैर सरकारी स्कूलों में- 2 लाख 33 हजार 210.
यह कहते हैं अधिकारी सभी स्कूलों के संस्था प्रधानों को विद्यार्थियों का दुर्घटना बीमा कराना चाहिए। यह राशि स्कूल अपने स्तर पर स्वयं वहन कर सकते हैं। इसके लिए नए शिक्षा सत्र में उन्हें लिखा जाएगा।
लक्ष्मीनारायण पारीक, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, अलवर।
अलवर जिले में मात्र 73 स्कूलों ने ही विद्यार्थी दुर्घटना बीमा योजना में बीमा कराया है। यह विद्यार्थियों के लिए कल्याणकारी योजना है जिसमें सभी विद्यार्थियों को कवर करना चाहिए।
आलोक अग्निहोत्री, संयुक्त निदेशक, बीमा व प्रावधायी निधि विभाग, अलवर।