इनमें रोहिताश शर्मा, हेमसिंह भडाना और जसवंत यादव मंत्री हैं तो ज्ञानदेव आहूजा का अलग कद है। अगर जिले में उपचुनाव फैक्टर का असर नजर आया तो कुछ और नेताओं के टिकट पर भी गाज गिर सकती है। जबकि राजगढ़ से विधायक गोलमा देवी के सपोटरा से प्रत्याशी घोषित होने के बाद वहां भी नया चेहरा मिलना तय है। अलवर ग्रामीण और कठूमर से भी मौजूदा विधायकों के टिकट मिलेंगे या नहीं इस बार पिछले कई दिनों से बहस चल रही है। मुंडावर में दिवंगत विधायक के पुत्र को टिकट मिलने के बाद अब अन्य नेताओं के परिजनों के टिकट मिलने की संभावनाएं भी कुछ धुंधली हो सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो इसका सबसे ज्यादा असर बहरोड़ में भाजपा के टिकट पर नजर आएगा।
अलवर शहर में भाजपा ने संजय शर्मा को टिकट दिया है। ऐसे में जातिगत समीकरण के लिए पार्टी को संतुलन साधना पड़ सकता है। यदि ऐसा हो सकता है तो अलवर शहर से परम्परागत दावेदार वर्ग को किसी अन्य क्षेत्र से संतुष्ट किया जाएगा। इससे किसी दिग्गज का टिकट भी कट सकता है। अलवर ग्रामीण और कठूमर से मौजूदा विधायकों का टिकट कटेगा या बचेगा यह पार्टी की अगली सूची में स्पष्ट हो जाएगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि अलवर में दूसरी सूची में कई चौंकाने वाले नाम होंगे।