आईएसआई मार्का हेलमेट ही खरीदें शहर के भगतसिंह चौराहा, बिजली घर चौराहा, एसएमडी चौराहा, न्यू हायर सैकंडरी स्कूल के समीप ठेलियों पर इन दिनों हेलमेट बेचे जा रहे हैं। यहां पर बिना मार्का के हेलमेट भी बिक रहे हैं। लोग सस्ते के लालच में ये हेलमेट खरीद लेते हैं जबकि उन्हें यह समझने की जरुरत है कि एक बार खरीदी गई महंगी चीज अधिक दिनों तक चलती है और वह टिकाऊ होती है। हेलमेट हमेशा आईएसआई मार्का का ही खरीदना चाहिए।
चालान कम, नहीं करते परवाह हेलमेट नहीं पहनने पर यातायात पुलिस मात्र 100 रुपए का चालान करती है। चालान की राशि कम होने के कारण लोगों में इसे लेकर डर नहीं है। चालान की राशि बढ़ा दी जाए और नियमों की सख्ती से पालना कराई जाए तो वाहन चालक अपने आप ही हेलमेट लगाना शुरु कर देंगे।
पीछे वाली सवारी को भी हेलमेट हो जरुरी घंटाघर पर हेलमेट विक्रेता विशाल अरोड़ा ने बताया कि जयपुर जैसे शहरों में वाहन चालकों के पीछे बैठी सवारी को भी हेलमेट लगाना आवश्यक होता है। अलवर शहर में यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है। आगे बैठा चालक तो हेलमेट लगाता है। लेकिन पीछे बैठी सवारी हेलमेट नहीं लगाती है। दुर्घटना के दौरान पीछे वाले को भी गंभीर चोट आ सकती है।
मौसम से बचाव करता है हेलमेट हेलमेट पहनने से मौसम से भी बचाव होता है। सर्दी के दौरान हेलमेट से जाड़़े से बचाव हो जाता है। हेलमेट में सामने की तरफ लगा शीशा नाक व आंख को सर्दी से बचाता है। गर्मियों के दिनों में भी तेज धूप व लू के थपेड़ों से बचाता है।