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अपने ही नारे से पलटी मायावती, तिलक-तराजू और तलवार..को बताया झूठा

विरोधियों ने कहा डरी हुई हैं बसपा सुप्रीमो, पार्टी का अस्तित्व खतरे में है …

प्रयागराजSep 06, 2016 / 02:53 pm

ज्योति मिनी

mayawati

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इलाहाबाद. बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने इलाहाबाद में दो दिन पूर्व मंडलीय रैली के बहाने अपनी राजनितिक ताकत दिखाते हुए विरोधियों पर जमकर हमला किया और पूरे समय मंच से सख्त तेवर में दिखी और मंच से इस बात का भी इशारा कर दिया की पूर्व की तरह इस चुनाव में भी जातीय समीकरण बरक़रार रहेगा भले ही सोशल इंजीनियरिंग का उनका फार्मूला बिखरता दिख रह हो लेकिन मंच से सबको साधने की पुरजोर कोशिश करती दिखी।

बसपा की इस रैली में तीन मंडल के 68 विधानसभा के लोग आये थे रैली का कार्यक्रम और स्थान सुनिश्चित होने के बाद ही यह तो तय ही था की कुछ माह पहले उसी मैदान में प्रधानमंत्री की रैली से इसकी तुलना होगी जिसके लिये भीड़ इकठ्ठी करने के लिया उम्मीदवार से लेकर विधायक तक सभी ने अपनी पूरी ताकत झोक दी थी।

बसपा सुप्रीमो का चुनावी मंच पहले के चुनावो से अलग था इस बार मंच पर सिर्फ अकेली माया ही नहीं बल्कि उनके और नेताओं को भी कुर्सिया मिली थी इसके पहले लोक सभा चुनाव में इलाहाबाद की हुई रैली में तो एक मंच और एक कुर्सी थी इस बार मंच भी दो और कुर्सिया भी कई दिखी। 

माया की रैली में भीड़ तो होती ही है प्रदेश में सबसे मजबूत कैडर की नेता जो मानी जाती है, लेकिन इस बार की रैली और भीड़ दोनों इलाहाबाद के साथ प्रदेश के सियासी गलियारो में नई बहस छेड़ दी है माया के मंच से यह भी साबित करने की कोशिश की अभी भी उनके सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले में कोई कमी नहीं आई है बहन जी के मंच पर सभी जातियों का समीकरण दिखा ब्राहमण, पटेल ठाकुर मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के नेता मंच पर रहे विकास के मुद्दे पर राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए यह दावा किया की बसपा ही यूपी में अच्छे दिन ला सकती हैं।

राजनितिक जानकारों की माने तो 1984-85 में जब बसपा का गठन हुआ तब से लेकर 2007 के चुनाव से पहले तक बसपा के मंच से सवर्ण विरोधी नारे आम थे कई बार तो मंचो से रैली और जन सभाओं में यह भी कहा गया है की अगर अमुक जातियों के लोग बैठे हो तो चले जाएं लेकिन समय के साथ प्रदेश में खुद को स्थापित करने को लेकर बसपा में बड़े बदलाव आये 2007 विधान सभा चुनाव से पहले पार्टी में सवर्ण जातियों के लिये अपने डाल के दरवाजे खोल दिए और उसी 2007 के चुनाव के दरमियां अलीगढ़ के एक चुनावी मंच से अग्रणी जातियों को भी गरीबी के आधार पर आरक्षण देने की वकालत की थी और इसी तरह एक 2017 के चुनाव से पहले संगम की धरती से तिलक-तराजू और तलवार नारा झूठा बताते हुए एक बार फिर अगड़ी जातियों से समर्थन मांगा और कहा कि यह बसपा का नारा नहीं रहा और पार्टी को बदनाम करने के लिए आरोप लगाया गया है।

बसपा प्रमुख ने राजनितिक डोरे डालते हुए कहा कि बसपा सभी जाति और धर्मों का सम्मान करती है। कहा कि विरोधी पार्टियां बसपा का गलत प्रचार कर रही हैं। बसपा राज आने पर अपराधी जेल भेजे जाएंगे और कानून का राज स्थापित होगा। 
बसपा सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय पर विस्वास करती है बसपा प्रमुख ने मंच से अपने ही पार्टी के पूर्व में दिए गए नारे को नकारने पर इलाहाबाद के सियासी गलियारों में यह खूब चर्चा चल रही है इस चर्चा पर जब पत्रिका ने अन्य पार्टियों और लोगो से उनकी राय जानी ।

कांग्रेस के वरिष्ट नेता बाबा अभय अवस्थी से मायावती के बयान को नकारने के सवाल पर उन्होंने कहा की माया अपनी रैली में चाहे जितनी किराये की भीड़ मांगा ले उनके नेता चाहे विश्व रिकॉर्ड बनाने की बात कर रहे हो लेकिन मंच से उनके बयान से यह साफ जाहिर होता है की वह डरी हुई हैं कांग्रेस की ओर लौट रहे दलित वोटों से माया परेशान है खुद को दलितों का मसीहा बताने वाली नेता से लोग दूर हो रहे हैं उनकी पार्टी और उनके नेता मंच से कहते थे तिलक तराजू और तलवार, मारो जूते चार का नारा लगता आज उसी जनता के सामने झूठ बोल रही है चुनाव परिणाम साफ कर देगा कौन झूठा ही और कौन सच्चा है। 

वहीं भाजपा के पूर्व विधायक और मोदी रैली के प्रभारी प्रभा शंकर पाण्डेय ने कहा की बसपा में भगदड़ मची है पहले मायावती जी अपनी विखर रही पार्टी को बचाए पहले रही बात उनके नारे की तो उन्होंने लाखो लाख जनता के सामने झूठ बोला है जिस समय यह नारे लगते थे वो बहुत पुरानी बात नही है आज पब्लिक को बहकाने का कम कर रही है जिससे कोई फायदा नहीं और पूरी बसपा इस समय मोदी जी के जन सभा से इस रैली की तुलना कर रहे हैं जानकारी के लिये बता दें कि मोदी जी की रैली में कुल 32 विधानसभा के लोग आये थे जबकि इस में 68 विधानम सभा के जनता को बुलाया गया था उसके बाद भी आधा ग्राउंड भी नहीं भर पाया। मोदी की रैली से इसकी तुलना हो ही नहीं सकती। 
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