बीते 27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक आयोग ने वरिष्ठ अध्यापक (माध्यमिक शिक्षा) प्रतियोगी परीक्षा-2018 का आयोजन किया था। इसी दौरान नागौर के डीडवाना रोड पर संचालित मैराथन कोचिंग सेंटर के संचालक प्रेमसुख सहित राजस्थान लोक सेवा आयोग के निलंबित यूडीसी प्रकाश पारचा को पुलिस ने गिरफ्तार किया। इनकी वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के दौरान नकल कराने में लिप्तता सामने आई। इस दौरान 31 अक्टूबर को आयोग कर्मचारी पारचा सेवानिवृत्त हो गया।
राजभवन को भेजा पत्र
अधिकृत जानकारी के अनुसार पारचा 1997 में भी नकल कराने की गतिविधियों में शामिल था। उसे आयोग ने निलंबित किया था। बाद में बहाल होने के बाद भी वह नहीं सुधरा। नकल गिरोह के संपर्क में आने के बाद उसे 2014 में उसे फिर निलंबित किया गया था। उसके पुराने कारनामों को देखते हुए आयोग उसकी पैंशन रोकने के मूड में है। लिहाजा आयोग प्रशासन ने राजभवन को पत्र भेजा है।
अधिकृत जानकारी के अनुसार पारचा 1997 में भी नकल कराने की गतिविधियों में शामिल था। उसे आयोग ने निलंबित किया था। बाद में बहाल होने के बाद भी वह नहीं सुधरा। नकल गिरोह के संपर्क में आने के बाद उसे 2014 में उसे फिर निलंबित किया गया था। उसके पुराने कारनामों को देखते हुए आयोग उसकी पैंशन रोकने के मूड में है। लिहाजा आयोग प्रशासन ने राजभवन को पत्र भेजा है।
मांगी विभागों से जानकारी आयोग अध्यक्ष दीपक उप्रेती ने विभागीय अधिकारियों से सेवानिवृत कर्मचारी पारचा के सेवाकाल से जुड़ी रिपोर्ट देने को कहा है। इसके तहत उसके विभिन्न विभागों में कामकाज, निलंबन और अन्य जानकारी शामिल हैं। इसकी विस्तृत रिपोर्ट बनाकर राजभवन और सरकार को भी भेजी जाएगी।
क्यों नहीं किया बर्खास्त! पारचा के पेपर लीक और अन्य मामलों में लिप्तता सामने आने के बावजूद आयोग ने ठोस कार्रवाई नहीं की। उसे दोनों बार सिर्फ निलंबित करके इतिश्री कर ली गई। जबकि वह आयोग की गोपनीयता भंग करने का आरोपित है। नियमानुसार आयोग उसे सरकार-कार्मिक विभाग से मंजूरी लेकर नोटिस और तीन माह का अग्रिम वेतन देकर बर्खास्त कर सकता था। इसके बावजूद ऐसा कुछ नहीं किया गया।