शेरों की मौत के प्राकृतिक कारणों में वृद्धावस्था, बीमारी, घायल, कमजोरी, शेरनी का शावकों का त्याग या मार देना, एक दूसरे के साथ वर्चस्व की लड़ाई तथा इलाके में कब्जा जमाने के बाद दूसरे इलाके के शेर का पुराने इलाके के शेर को मारना शामिल है।
गुजरात में हर पांच वर्षों में एक बार शेरों की गणना होती है। अंतिम बार वर्ष 2015 में शेरों की गणना की गई थी। इसके तहत 523 शेर थे। इनमें 109 नर शेर, 201 मादा शेर, 73 पुख्त व 140 शावक शामिल हंैं।