ड़ॉ. श्रीभगवान शर्मा ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में चार मठ स्थापित किये और उनमें भी हिन्दी का प्रचलन किया। सन् 1935 में राजगोपालाचार्य ने मद्रास में कक्षा पांचवीं तक हिन्दी की अनिवार्यता की, क्योंकि वे जानते थे कि हिन्दी ही देश को एकता के सूत्र में बांध सकती है। हिन्दी ने अपनी वैज्ञानिकता, अपनी प्रमाणिकता पूरे विश्व में साबित कर दी है। हिन्दी भाषा का प्रचलन देश की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के लिये पांच चीजें अनिवार्य हैं। उसका ध्वज होना चाहिये, संविधान होना चाहिये, उसका राष्ट्रगान होना चाहिये, उसकी भाषा होनी चाहिये। अगर देश की भाषा नहीं है, तो देश एकता के सूत्र में कैसे बंध सकता है। उन्होंने कहा कि हिन्दी राष्ट्र, नहीं राजभाषा है।
श्रीभगवान शर्मा ने कहा कि हिन्दी के लिये राम मंदिर से बढ़कर आंदोलन होना चाहिये, क्योंकि ये देश की अस्मिता का सवाल है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में किसी संगठन विशेष ही नहीं, बल्कि हर भारतीय को आगे आना चाहिये। उन्होंने कहा कि निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल। जब सवाल पूछा गया कि सरकार एक मंदिर तक नहीं बना पा रही है, तो उन्होंने कहा कि मंदिर का प्रश्न एक धर्म तक जुड़ा हुआ है, जबकि भाषा का संबंध देश की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि दक्षिण में हिन्दी का विरोध महज राजनैतिक रोटियों के लिए है। वहां लोग खूब हिन्दी बोल रहे हैं।
श्रीभगवान शर्मा सेंट जोंस कॉलेज आगरा के हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष रहे हैं। इसके साथ ही विश्व हिन्दी सम्मेलन में हर वर्ष भाग लेते हैं। साल में दो बार विदेश जाकर हिन्दी का प्रचार-प्रसार करते हैं। अनिवासी भारतीयों को घर पर हिन्दी भाषा में ही बात करने के लिये प्रेरित करते हैं। सबसे बड़ी बात तो ये है कि स्वयं भी ब्रज भाषा में बात करते हैं।
श्रीभगवान शर्मा: हमने अंग्रेजी को पिछलग्गू बना रखा है। आज भी अंग्रेजी को जानने वाले महज कुछ ही फीसद लोग हैं और हिंदी उत्तर से लेकर दक्षिण तक सर्वाधिक बोले जाने वाली भाषा है।
श्रीभगवान शर्मा: राज भाषा जो सरकारी काम काज में प्रयोग होती है और राष्ट्र भाषा जिसे देश का बहुांक बोलता है। हिन्दी बोलने वाले सर्वाधिक लोग दुनिया में हैं।
श्रीभगवान शर्मा: रोजगार का संबंध है, लेकिन हमारी असमिता का भी संबंध है। किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के लिये पांच चीजें अनिवार्य हैं। उसका ध्वज होना चाहिये, संविधान होना चाहिये, उसका राष्ट्रगान होना चाहिये, उसकी भाषा होनी चाहिये।
श्रीभगवान शर्मा: हिन्दी के लिये राम मंदिर से बढ़कर आंदोलन होना चाहिये, क्योंकि ये देश की अस्मिता का सवाल है। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में किसी संगठन विशेष ही नहीं, बल्कि हर भारतीय को आगे आना चाहिये।