एडवोकेट सुरेश चंद्र सोनी ने बताया कि थाना सदर की रिपोर्ट 29–07–18 के अनुसार न्यायालय ने बाद संख्या –70/18 दर्ज कर 21 दलितों को तलब कर लिया और इनके विरुद्ध नोटिस जारी कर दिए। जिस पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने धारा 482 के अन्तर्गत पुलिस की रिपोर्ट व अदालत के आदेश को चुनौती दी गई। जिस पर उच्च न्यायालय ने 14–11–18 को पुलिस व अदालत के आदेश को खारिज कर दिया। जिस पर दलित जगन सुभाष पप्पू, राधेलाल, सुकराम, महेश, राजेश, सतीश, डालचंद, लाखनसिंह, संतोष, गोपाल, चन्द्रभान, मुकेश, धर्मवीर, रघुवीर, हेमराज, राम प्रकाश, राजेन्द्र, सुनील कुमार, सुरेन्द्र, के घरों में खुशी की लहर दौड़ गई। इनमे से कोई भी दलित जेल नहीं गया। उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा झूठा मुकदमा लगाने पर सभी दलित न्यायालय के माध्यम से मुआवजे कि मांग करेंगे।
सपोर्ट इंडिया के अध्यक्ष सुरेश चंद सोनी एडवोकेट भारत बंद के दौरान गिरफ्तार और आरोपी बनाए गए दलितों के केस फ्री में लड़ने की पहले ही घोषणा की गई थी। एडवोकेट ने इस मामले के सभी केसों में कोई फीस नहीं ली और 21 दलितों से मुकदमा खारिज हुआ।