भोपाल। 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा से पहले ही मध्य प्रदेश और हरियाणा ने नोटबंदी के नोटबंदी के संभावित असर पर एक आंकलन रिपोर्ट तैयार कराने के लिए कदम बढ़ा दिए थे। इसकी जिम्मेदारी पुणे के एनजीओ अर्थक्रांति को दी गई थी। अब इसी एनजीओ के मुखिया अनिल बोकिल ने हाल ही में जारी हुए 2000 रूपए के नोट के बंद होने की बात कही है। हालांकि, इस बात का आधार क्या है इसका उन्होंने जिक्र नहीं किया है।
बोकिल ने एक मीडिया हाउस से बातचीत में इस ओर इशारा किया है। उन्होंने कहा कि देश में 86 प्रतिशत करेंसी जब चलन से बाहर हो जाएगी तो उसकी आपूर्ति के लिए बड़ा नोट लाना ही पड़ेगा। 1000 का नोट छापने की तुलना में 2000 के नोट छापने में 50 प्रतिशत कम समय लगेगा। साथ ही कहा कि आने समय में 2000 रुपए का नोट भी बंद हो जाएगा।
भाजपा शासित राज्यों मध्यप्रदेश और हरियाणा ने 8 नवंबर से महीनों पहले ही नोटबंदी के संभावित असर पर एक आंकलन रिपोर्ट तैयार कराने के लिए कदम बढ़ा दिए थे। जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के वाणिज्य कर विभाग और हरियाणा सरकार ने पुणे के एनजीओ ‘अर्थक्रांति’ के उस प्रस्ताव पर मूल्याकंन रिपोर्ट तैयार करने के लिए राष्ट्रीय वित्त एवं नीति संस्थान (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी- एनआईपीएफपी) से आग्रह किया था, जिसमें बड़े नोटों के बाजार से विमुद्रीकरण और उसके असर का जिक्र किया गया था।
क्या है NIPFP
एनआईपीएफपी नई दिल्ली स्थित एक थिकं टैंक है जो केंद्रीय वित्त मंत्रालय, योजना आयोग, विभिन्न राज्य सरकारों और संस्थानों के साथ मिलकर काम करता है। मध्यप्रदेश व हरियाणा सरकारों के आग्रह के बाद एनआईपीएफपी ने जुलाई में अर्थक्रांति की रिसर्च रिपोर्ट का आंकलन शुरू किया, लेकिन 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान तक एनआईपीएफ अपनी विस्तृत मूल्याकंन रिपोर्ट राज्य सरकारों को नहीं सौंप सका। हालांकि एनआईपीएफपी ने 14 नवंबर को एक दस्तावेज सार्वजनिक किया था, जिसमें मुद्रा विमुद्रीकरण के प्रभावों और असर का जिक्र था।
मप्र सरकार ने स्वीकारी बात
जब इस रिपोर्ट पर मध्यप्रदेश सरकार बात की गई तो सरकार ने भी स्वीकारा कि एनआईपीएफपी अर्थक्रांति की उस रिसर्च रिपोर्ट का मूल्याकंन कर रहा है। सरकार ने ये भी कहा कि महाराष्ट्र के इस संस्थान ने ‘एक्सप्लोरिंग अर्थक्रांति: ए पाथ टू फिक्सल कंसोलिडेशन’ नामक रिसर्च रिपोर्ट 2013 में तैयार की थी। सरकार का मानना था कि इस रिपोर्ट को जांच-परखा जाना चाहिए, ताकि आम जनता पर भविष्य में पडऩे वाले टैक्स बोझ का आंकलन किया जा सके। इसके लिए सरकार ने एनआईपीएफपी के साथ एक एग्रीमेंट भी किया था, ताकि ‘अर्थक्रांति’ की रिसर्च रिपोर्ट का आकलन कर उसके प्रभावों व असर को सार्वजनिक करने के लिए दस्तावेज तैयार किया जा सके।
कानूनन ऐसा अधिकार नहीं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 के तहत ये स्पष्ट किया गया है कि कोई भी राज्य सरकार किसी भी रास्ते से मुद्रा का विमुद्रीकरण नहीं कर सकती। इस एक्ट की एक धारा 26 (2) में लिखा गया है कि जब तक केंंद्र सरकार का सेंट्रल बोर्ड आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी नहीं करता, तब तक किसी भी तरह की मुद्रा का विमुद्रीकरण नहीं किया जा सकता।
अर्थक्रांति ने भी किया दावा
अर्थक्रांति के प्रमुख अनिल बोकिल ने हाल ही में दावा किया था कि नोटबंदी का विचार उनका ही था, जो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्र की सत्ता में काबिज होने के पहले ही भाजपा के कई बड़े नेताओं के सामने रखा था। मुद्रा विमुद्रीकरण को लेकर उनकी कई भाजपा नेताओं के साथ बैठकें भी हुईं। बोकिल ने बताया कि रिपोर्ट अपने अंतिम चरण में है। मध्यप्रदेश और हरियाणा सरकारों ने हमारी रिसर्च रिपोर्ट के मूल्याकंन के लिए एनआईपीएफपी से आग्रह किया था।