scriptदर-दर भटकने को आखिर क्यों है मजबूर हमारे अन्नदाता, जानिए क्या है असली वजह | Why is the need to wander through rate, our advertisers | Patrika News
नारायणपुर

दर-दर भटकने को आखिर क्यों है मजबूर हमारे अन्नदाता, जानिए क्या है असली वजह

मक्का की नमी मापने दर-दर भटकने को मजबूर हो रहे किसान, मीलों सफर कर मुख्यालय के वेयर हाउस गोदाम तक आना पड़ रहा

नारायणपुरMar 06, 2018 / 02:06 pm

Badal Dewangan

दर-दर भटकने को आखिर क्यों है मजबूर हमारे अन्नदाता
नारायणपुर. किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाने के लिए छत्तीसगढ़ में समर्थन मुल्य नीति के तहत एक हजार 425 रुपये क्विंटल के हिसाब से किसानों से मक्का खरीदी की जा रही है। इसमें नागरिक आपूर्ति निगम लेम्पस के माध्यम से किसानों का मक्का खरीदा जा रहा है। जिले में 6 जगह पर लेम्पस के माध्यम से मक्का खरीदी हो रही है पर मक्का की नमी मापने की व्यवस्था केवल जिला मुख्यालय के नागरिक आपूर्ति निगम के वेयर हाउस में की गई है। इससे किसानों को अपना मक्का बेचने के लिए नमी मापने के लिए मीलों का सफर तय कर मुख्यालय पहुंचना पड़ रहा है।
नमी मापने के लिए मुख्यालय भेज रहे हैं
किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। जिले में पहली बार समर्थन मूल्य पर किसानों से मक्का की खरीदी की जा रही है। नागरिक आपूर्ति निगम जिले के ओरछा, छोटेडोंगर, धौड़ाई, बेनूर, एड़का व नारायणपुर में संचालित लेम्पस के माध्यम से किसानों से मक्का खरीदी करने में लगा हुआ है। लेम्पस में 14 प्रतिशत से कम नमी वाले मक्का की खरीदी किसानों से करनी है। इसके लिए खरीदी केन्द्र में नमी मापक यंत्र का होना आवश्यक है। साथ ही किसानों को दिखाने के लिए सूखे मक्का का सैम्पल खरीदी केन्द्र में रखना अनिवार्य है। इसके बावजूद नियमों को ताक में रखकर नमी मापक यंत्र खरीदी केन्द्र में होने के बाद भी लेम्पस प्रबंधक किसानों को मक्का की नमी मापने के लिए मुख्यालय भेज रहे हैं। इसमें किसान अपने स्तर से मिलों का सफर तय कर मुख्यालय पहुंचकर नागरिक आपूर्ति निगम के वेयर हाउस में मक्का की नमी माप रहे हंै।
लेम्पस प्रबंधक बच रहे अपनी जिम्मेदारी से
मक्का खरीदी करने के दौरान नमी में अंतर आने की बात को ध्यान में रखकर लेम्पस प्रबंधन नमी मापने के लिए किसानों को नागरिक आपूर्ति निगम के वेयर हाउस में भेज रहे हंै। इसमें मक्का के नमी के अंतर की जिम्मेदारी से बचा जा सके। लेकिन इसका खामियाजा किसानों को भुगतने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
किसानों से मक्का खरीदी कर नागरिक आपूर्ति निगम को देना है। मक्का खरीदी करने के बाद नमी में 1-2 प्रतिशत का अंतर आता है। इसके कारण शुरुआती दौर में किसानों को नमी मापने के लिए वेयर हाउस में भेज रहे थे। अब किसानों से मक्का का थोड़ा बहुत सेम्पल लेकर खुद वेयर हाउस में नमी मापने के लिए जाते हंै। इसके बाद किसानों की मक्के की खरीदी होगी या नहीं इसकी स्थिति के बारे में बताते है।
भूषण कश्यप, लेम्पस प्रबंधक
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो