षष्ठी नन्दा संज्ञक तिथि प्रात: ८.०१ तक, इसके बाद सप्तमी भद्रा संज्ञक तिथि है। षष्ठी तिथि में यात्रा, उबटन, काठ की दातन आदि को छोडक़र युद्ध, वास्तु, तथा अन्य मांगलिक कार्य प्रशस्त हैं। सप्तमी तिथि में यथा आवश्यक विवाहादि सभी मांगलिक कार्य, यात्रा, प्रतिष्ठा, वास्तु, गृहारम्भ व प्रवेश आदि के सभी कार्य शुभ कहे गए हैं। नक्षत्र: चित्रा ‘मृदु व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र पूर्वाह्न १०.५३ तक, इसके बाद स्वाति ‘चर व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक है। चित्रा नक्षत्र में शांति, पुष्टता, अलंकार, वाहनादि क्रय करना व वास्तु सम्बंधी कार्य और स्वाति नक्षत्र में यथा आवश्यक समस्त शुभ व मांगलिक कार्य शुभ कहे गए हैं। योग: शूल नामक योग पूर्वाह्न ११.०२ तक, तदन्तर गंड नामक योग है। दोनों ही नैसर्गिक अशुभ योग है। वज्र नामक योग की अशुभ घटियां निकल चुकी है। गंड नामक योग की प्रथम ६ घटी शुभ कार्यों में त्याज्य हैं। विशिष्ट योग: द्विपुष्कर व राजयोग नामक शुभ योग प्रात: ८.०१ से पूर्वाह्न १०.५३ तक, रवियोग प्रात: १०.५३ तक तथा पुन: प्रारम्भ दोपहर १२.४५ से। करण: वणिज नामकरण प्रात: ८.०१ तक, इसके बाद रात्रि ८.२३ तक भद्रा संज्ञक विष्टि नामकरण है। तदुपरान्त बवादि करण प्रारम्भ।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज प्रात: ९.५७ से दोपहर बाद २.०३ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा अपराह्न ३.२४ से सायं ४.४६ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१९ से दोपहर १.०३ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभ कार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज विवाह कात्यायनोक्त (दिवालग्न) व हलप्रवहण के चित्रा नक्षत्र में और प्रसूति स्नान व विवाह का (भद्रा पश्चात-लग्नाऽभाव) स्वाति नक्षत्र में शुभ मुहूर्त है।
व्रतोत्सव: आज प्रात: ७.३० से शुक्र का बाल्यत्व समाप्त हो जाएगा। विवाहादि मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाएंगे। चन्द्रमा: चन्द्रमा सम्पूर्ण दिवारात्रि तुला राशि में। ग्रह राशि-नक्षत्र परिवर्तन: दोपहर १२.४५ पर सूर्यदेव धनिष्ठा में प्रवेश करेंगे तथा पूर्वाह्न ११.५९ से शुक्र कुम्भ राशि में प्रवेश करेगा। दिशाशूल: मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज पश्चिम दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है। राहुकाल: अपराह्न ३.०० से सायं ४.३० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।