हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, जिस प्रकार राम नवमी शुभ फलदायी होता है, उसी प्रकार सीता नवमी भी फलदायी है। क्योंकि भगवान श्रीराम विष्णु के अवतार हैं जबकि माता सीता लक्ष्मी के स्वरूप हैं। कहा जाता है कि जो भी इस दिन माता सीता की पूजा अर्चना भगवान श्रीराम के साथ करता है, उस पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
कैसे करें पूजा मान्यता है कि सीता नवमी व्रत पूजन की तैयारी एक दिन पहले से ही करनी चाहिए। यानि की अष्टमी के दिन से ही घर की साफ-सफाई करनी चाहिए। साफ-सफाई के बाद पूजा घर या किसी साफ स्थान पर गंगा जल का छिड़ककर उस स्थान को पवित्र कर दें। इसके बाद वहां पर मंडप बनाएं। मंडप चार, आठ या सोलह स्तंभ का होना चाहिए।
इस मंडप के बीच में एक आसन लगाएं और उस आसन पर माता सीता और भगवान श्रीराम का प्रतिमा को स्थापित करें। अगर प्रतिमा संभव नहीं है तो उनके चित्र भी रख सकते हैं। इसके बाद कलश का स्थापना कर व्रत का संकल्प लें। नवमी के दिन स्नान कर माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा करें और दशमी को विधि-विधान से मंडप का विसर्जन करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी।