वहीं पीएम मोदी के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत कंपनी ने इस लड़ाकू विमान को भारत में बनाने का फैसला किया था। लेकिन ऐसे हालात में अगर दोबारा ट्रंप सरकार इस मामले पर विचार करती है तो मामला अधर में लटक सकता है। ओबामा सरकार के दौरान हुए समझौते के मुताबिक कंपनी लॉकहीड मार्टिन जल्द ही एफ – 16 का निर्माण देश में करने वाली है। लेकिन अब इस मामले में ट्रंप प्रशासन रुकावटें पैदा कर रही है।
गौरतलब है कि ये सौदा अमरीका तब किया गया है, जबकि अमरीका और रुस समेत सभी हथियार निर्माता देश अब पांचवे पीढ़ी की लड़ाकू विमान पर काम कर रहे हैं। इसी को ध्यान में रखकर कंपनी ने एफ -16 को भारत में भी बनाने का फैसला लिया था। साथ ही कंपनी ने भारत के सामने यह भी शर्त रखी थी कि कम से कम उसे 100 एफ -16 लड़ाकू विमान खरीदने होंगे।
सूत्रों के मुताबिक आने वाले समय में भारत को इन लड़ाकू विमानों की खासी जरुरत है। तो वहीं भारत सरकार आने वाले दिनों में सैन्य आधुनिकिकरण पर 250 अरब डॉलर का निवेश करने की तैयारी में है। तो वहीं अमरीका रक्षा मंत्रालय की ओर से एफ -16 लड़ाकू विमान के ऑर्डर कम होने के कारण कंपनी टेक्सास स्थित प्लांट में जॉइंट स्ट्राइक फाइटर एफ-35 का निर्माण करना चाहती है। तो वहीं दूसरी ओर कंपनी एफ -16 जेट विमान का प्रोडक्शन भारत में करना चाहती है।
तो वहीं ट्रंप सरकार का एफ -16 विमान के भारत में निर्माण पर दोबारा विचार करने की स्थिति में यहां मैन्युफैक्चरिंग पर रोक की वजह से बोइंग, नॉर्थरॉप के अलावा दूसरा कंपनियों के साथ हुए रक्षा सौदे पर भी असर पड़ सकता है। तो वहीं एफ -16 ही एक ऐसा मामला नहीं है जहां राष्ट्रपति ट्रंप जिससे भारत या वैश्विक हितों को गहरा झटका लगा है। ट्रंप अक्सर देश के उन कंपनियों पर निशाना साधते रहे हैं, जो अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट अमरीका से बाहर ले जाने की बात करते हैं।