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रूस ये तय नहीं कर पा रहा कि वह ‘अमीर’ है या ‘गरीब’

locationजयपुरPublished: Feb 02, 2019 04:12:27 pm

Submitted by:

manish singh

रूस में अमीरी और गरीबी दोनों तरह की स्थिति है। 1.9 करोड़ से अधिक की जनसंख्या करीब 10,500 रुपए के मासिक वेतन पर जीवन बसर कर रही है जो राष्ट्रीय मानक के अनुसार बेहद कम है।

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रूस ये तय नहीं कर पा रहा कि वह ‘अमीर’ है या ‘गरीब’

रूस अमीर या गरीब देश है? इसका जवाब पुतिन का युग खत्म होने से पहले देश के लिए जानना जरूरी है जिससे उसकी दिशा तय होगी। सोवियत यूनियन के टूटने के बाद अर्थव्यवस्था को संभालने की नीति बनाने वाले एंटॉली क्यूबॉयस ने हाल ही मॉस्को के एक इकोनॉमिक फोरम में एक विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि रूस ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे कम कुशल राष्ट्र है क्योंकि यहां बिजली सस्ती है पर ऊर्जा संरक्षण की ओर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है।

एंटॉली सरकारी सहायता प्राप्त ‘इनोवेशन इन्वेस्टमेंïट व्हीकल’ पर काम कर रहे हैं। वे लगातार ऊर्जा की कीमतें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना भी झेलनी पड़ रही है। इन्होंने एक और बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि ‘रूस एक गरीब देश है और यहां की एक बड़ी आबादी गरीबी या अत्यधिक गरीबी में जी रही है’। इनके बयान पर विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की करीबी मारिया जखारोवा ने नाराजगी जताई और सरकार का पक्ष रखा। रूस के पास हर तरह के संसाधन उपलब्ध हैं। धन की भी कोई कमी नहीं है। उसके पास दुनिया का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस का भंडार है। दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में इंटरनेट का प्रयोग करने वाले और पढ़े लिखे लोगों की संख्या भी अधिक है।

प्रवक्ता ने दिया जवाब
मारिया ने लिखा है कि पुतिन के शासनकाल में देश आर्थिक और सामरिक स्तर पर मजबूत हुआ है। 1991 के दौर से हम आगे निकल चुके हैं। उस वक्त एक व्यक्ति की मासिक आय करीब 840 रुपए थी। स्बरबैंक जनता का पैसा लेकर दिवालिया हो गया। आर्थिक विकास दर 12 से 10 फीसदी पर आ गई। महंगाई दर 100 फीसदी के पास थी जो अब सामान्य है।

पुतिन को है पूरा श्रेय
रूस अमीर देशों की सूची में आता है तो उसका पूरा श्रेय राष्ट्रपति पुतिन को जाता है। पिछले कुछ वर्षों में पुतिन ने निवेश और ऊर्जा के क्षेत्र में काम कर देश को नए मुकाम पर पहुंचाया है। रूस तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था है लेकिन उसे उन लोगों पर भी ध्यान देना होगा जो पीछे छूट गए हैं। जब वे एकसाथ चलेंगे तभी ‘अमीरी या गरीबी’ सिद्ध करने की आवाज नहीं उठेगी।

लियोनिड बर्सडिस्की, ब्लूमबर्ग, वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत

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