अखबार द नेशन के मुताबिक, इस कानून के पारित होने से पाकिस्तान में हिंदुओं के यहां विवाह की न्यूनतम उम्र 18 की गई है। जबकि अन्य धर्मों के नागरिकों में विवाह की उम्र पुरुषों के लिए 18 व महिलाओं के लिए 16 साल है।
पाक की संसद नेशनल असेंबली यानी निचले सदन में मानवाधिकार मंत्री कामरान माइकल ने इस बिल को पेश किया था। नए कानून के मुताबिक, कानून तोडऩे पर यानी न्यूनतम उम्र से कम उम्र में शादी करने के मामले में छह महीने की जेल और 5000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
नए कानून से उन विधवाओं को राहत मिली है, जो अब तक अपनी शादी के सबूत नहीं दिखा पाती थीं और न ही कोई सरकारी सुविधाओं का फायदा उठा पाती थीं। इस कानून से पति की मौत के छह महीने बाद कोई विधवा दूसरी शादी कर सकती है। यानी विधवा पुनर्विवाह को मान्यता दी गई है।
21 फीसदी की शादी 18 से कम में संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ के मुताबिक, पाक में 21 फीसदी महिलाओं की पहली शादी 18 साल से पहले ही हो जाती है। जबकि 3 फीसदी शादी 16 साल से पहले ही हो जाती हैं।
-शादी के सबूत से हिंदू महिलाओं का हक सुरक्षित हुआ है। जोहरा युसूफ, पाक की मानवाधिकार आयोग की प्रमुख