नवंबर 2004 को ईराक में गस्त के दौरान लैंड माइन ब्लास्ट में अमरीकी सेना के जवान डैन नेविन्स का वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया जबकि इनके दूसरे साथी माइक ओटोलोनी की मौत हो गई। इन्हें जब घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया तब डॉक्टरों ने बुरी तरह खराब हो चुके बाएं पैर को घुटने के नीचे से काट दिया जबकि दाएं पैर को बचाने की कोशिश में तीन साल तक इलाज चलता रहा। अचानक एक दिन उसमें भी संक्रमण हो गया और डॉक्टरों ने इनकी जान बचाने के लिए उस पैर को भी काटने का फैसला किया। तीन साल में करीब दो साल का समय वॉल्टर रीड आर्मी मेडिकल सेंटर में गुजरा जहां 36 बार ऑपरेशन हुए। फ्लोरिडा में रह रहे नेविन्स उस घटना को याद करते हैं तो इनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वे कहते हैं कि जब वे धमाके में बुरी तरह घायल हुए तब लगा कि अब उठ नहीं पाऊंगा लेकिन मन में ठान रखी थी कि कुछ ऐसा करना है जिससे पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन सकूं।
हार नहीं मानी, कृत्रिम पैरों से योग
2014 में एक दिन इन्होंने अपनी दोस्त एना डेनिस को फोन किया। उन्हें बताया कि उन्हें खुद पर गुस्सा आ रहा है और असहाय महसूस कर रहा हूं। इसपर डेनिस ने कहा कि अब तुम्हे जिंदगी में ‘योग’ की जरूरत है। योग शिक्षक डेनिस ने तीन पाठ के बारे में बताया जो इन्हें जिंदगी की सबसे खराब चीज लगी। कुछ दिन बाद डेनिस ने नेविन्स को फोन किया और कहा कि मैं तुम्हें योग सिखाना चाहती हूं। पहले दिन नेविन्स को असहनीय कष्ट से गुजरना पड़ा। वे पूरी तरह निराश हो गए, दर्द से कराह रहे थे क्योंकि वे खुद को कृत्रिम पैरों पर संभाल नहीं पा रहे थे। इन्हें योग शिक्षक डेनिस पर गुस्सा भी आ रहा था क्योंकि वे बार-बार कह रहीं थी कि अपने पैरों को पूरी ताकत के साथ जमीन पर रखो। खड़े रहो। इसके बाद इन्होंने कहा ‘मैं हार मानता हूं मेरे पास पैर नहीं हैं’। इसके बाद इन्होंने अपने कृत्रिम पैरों को निकालकर किनारे रख दिया। ये बहुत शर्मिंदा थे क्योंकि इनकी बेबसी और लाचारी इनके परिवार के साथ डॉक्टरों ने भी देखी थी। इसके बाद इन्होंने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया। बंद कमरे में ये कई दिनों तक खुद से बातें करने लगे कि युद्ध के मैदान में जान की बाजी लगा दी थी। अब योग के सामने हार मान रहा हूं जिससे मेरी तबाह हो चुकी जिंदगी फिर से संवर सकती है।
दोस्त ने कहा जमीन से ऊपर उठना है तुम्हे
दोस्त ने इन्हें कहा की तुम्हें जमीन से दोबारा उठना होगा। इसके लिए हर कोशिश करनी होगी। यही तुम्हारी जिंदगी का मकसद होना चाहिए। फिर इन्होंने अपने हाथों को ऊपर उठाया और इन्हें लगा कि जिंदगी हाथ से निकल रही है। इनकी आंखों अश्रुधारा बह रही थी। चेहरा पूरी तरह भावुक हो चुका था। इसके बाद इन्होंने योग के अगले अध्याय का इंतजार नहीं किया। 46 साल के नेविन्स जो तीन बच्चों के पिता भी है। इन्होंने फैसला किया कि चाहे जो हो जाए योग सीखेंगे और दूसरों को भी योग सीखने के लिए प्रेरित करेंगे जिससे सबकी जिंदगी संवर सके।
दोस्त को आत्महत्या करने से बचाया
एक दोस्त ने इन्हें एक दिन फोन किया और मिलने को कहा। दोस्त जब इनके पास पहुंचा तो उसकी बात सुन दंग रह गए। उसने बताया कि एक दिन उसने आत्महत्या की कोशिश और बंदूक मुंह में लगा ली थी पर जब तक फायर करता मेरी पत्नी आ गई और उसने रोक लिया। इन्होंने अपने दोस्त को योग सिखाने का फैसला किया। कुछ हफ्तों बाद दोस्त ने फोन किया और कहा कि ‘मेरी जिंदगी बचाने के लिए धन्यवाद’। अब मैं बंदूक नहीं योग मैट से प्यार करता हूं। इसके बाद ये योग शिक्षक बन गए।
घायल सैनिकों के लिए भी योजना
युद्ध में अपंग हो चुके सैनिकों के पुनर्वास के लिए ‘वाउंडेड वॉरियर प्रोजेक्ट’ चलाते हैं। इनका मकसद सभी के भीतर जीवन जीने की कला जागृत करना है। योग शिक्षक बनने का इरादा नहीं था पर योग में इन्हें गजब की ताकत दिखी जिसने इन्हें ताकतवर बनाया। योग के साथ ये खेलों में भी आगे हैं। गोल्फ, स्काईडाइविंग, स्किंग और माऊंटेन क्लाइङ्क्षबग में इनका कोई जवाब नहीं है। 2015 में इन्होंने तंजानिया के माउंट किलिमंजारो पहाड़ी की चढ़ाई पूरी की है।
“बाहर से सबकुछ अच्छा लगता है लेकिन भीतर से मैं बहुत टूटा और अलग-थलग महसूस करता हूं। कभी-कभी मेरे ठीक हो चुके जख्म भी दर्द देते हैं जिसे सिर्फ मैं महसूस करता हूं पर उसे हावी नहीं होने देता हूं। कभी-कभी भूल जाता हूं कि मेरे दोनों पैर नहीं है। मैं शानदार तरीके जिंदगी जी रहा हूं”।
वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत