LGBTQ ने कहा- Same Sex Relationship पर हमला है ये कानून
इराक के इस काननू में लिखा है कि इसका उद्देश्य “इराकी समाज को नैतिक पतन और दुनिया भर में फैली समलैंगिकता को हटाना है”। बता दें कि इस कानून को मुख्य रूप से रूढ़िवादी शिया मुस्लिम पार्टियों का समर्थन मिला हुआ था जो मुस्लिम देश इराक की संसद में सबसे बड़ा गठबंधन है। इस कानून के तहत कोई भी शख्स वेश्यावृत्ति, समलैंगिकता और समान-लिंग संबंधों (Homosexuality) में लिप्त पाया जाता है तो उस पर कम से कम 10 साल और अधिकतम 15 साल की सजा होगी। यही नहीं समलैंगिकता और वेश्यावृत्ति को बढ़ावा देने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान भी है।
अमेरिका ने की निंदा
इधर अमेरिका (USA on Iraq Law Of Same Sex Relationship) ने इराक के इस कानून की निंदा की है। अमेेरिका के विदेश विभाग का कहना है कि इराक का ये कानून संवैधानिक रूप से संरक्षित मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को खतरे में डाल रहा है। इस काननू से अमेरिका चिंता में आ गया है। इस काननू से समाज में कुछ व्यक्तियों के अधिकार भी सीमित हो जाएंगे, जिससे सभी के अधिकार कमजोर हो जायेंगे। अमरीका ने कहा कि इराक इस कानून की आड़ में अभिव्यक्ति की आज़ादी को भी छीनेगा और देश भर में गैर सरकारी संगठनों के संचालन को भी रोकेगा। जो मौलिक अधिकारों का हनन है।
बीते साल नेताओं ने जमकर किया था विरोध
बता दें कि बीते साल इराक में प्रमुख राजनीतिक दलों ने LGBTQ की उठाई जा रही मांगों को दबाने के लिए ही इस कानून पर काम करने का सुझा दिया था जिसके बाद ये अमल में लाया गया। इराक में हालात ये हो गए थे कि सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों रूढ़िवादी शिया मुस्लिम गुटों ने विरोध प्रदर्शन में अक्सर इस समुदाय के झंडे तक जला दिए थे। कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया गया था।
60 से ज्यादा देशों में अपराध है समलैंगिकता
एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 60 से ज्यादा देशों में समलैंगिक संबंधों को अपराध घोषित किया गया है। वहीं 130 से ज्यादा देशों में समलैंगिक संबंधों को मान्यता दी गई है।
इन देशों में कानूनी मान्यता
इनमें नीदरलैंड, क्यूबा, एंडोरा, स्लोवेनिया, चिली, स्विट्जरलैंड, कोस्टा रिका, ऑस्ट्रिया, इक्वेडोर, बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आइसलैंड आयरलैंड, लक्समबर्ग, माल्टा, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, कोलंबिया, ब्राजील, अर्जेंटीना, कनाडा, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, उरुग्वे और ताइवान जैसे देशों शामिल है। वहां भारत में अभी इसे कानूनी मान्यता नहीं दी गई है।