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फ्रेंच राष्‍ट्रपति मैक्रों का भारत दौरा आज से, हिंद महासागर में नौसैनिक अड्डों का मिलकर करेंगे इस्‍तेमाल

locationनई दिल्लीPublished: Mar 09, 2018 11:54:39 am

Submitted by:

Dhirendra

हिंद महासागर में चीन को रोकने के लिए भारत और फ्रांस मिलकर करेंगे काम।

macron and modi
नई दिल्‍ली. फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भारत में अपनी चार दिवसीय यात्रा शुक्रवार से शुरू करेंगे। भारत पहुंचने से पहले ही उन्‍होंने संकेत दिए हैं कि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए फ्रांस भारत के साथ मिलकर काम करेगा। फ्रांस ने इसके मद्देनजर नौसैनिक अड्डों का एक-दूसरे के हित में संयुक्‍त रूप से इस्‍तेमाल करने पर भी जोर दिया है। चीन की चहलकदमी को देखते हुए भारत ने इसका प्रस्‍ताव रखा था। भारत दौरे के दौरान हिंद महासागर को लेकर दोनों देशों के बीच होने वाला यह समझौता बिल्‍कुल ही नए किस्‍म का समझौता होगा। आपको बता दें कि भारत और फ्रांस के बीच रणनीतिक साझेदारी 20 वर्षो से है।
पत्‍नी ब्रिगिट के साथ वाराणसी का करेंगे दौरा
राष्ट्रपति मैक्रों अपनी पत्नी ब्रिगिट के साथ पहली भारत यात्रा पर शुक्रवार देर शाम नई दिल्ली पहुंचेंगे। पीएम मोदी स्वयं राष्ट्रपति मैक्रों के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारेंगे। मैक्रों मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी जाएंगे, जहां वह मिर्जापुर में उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े सोलर पार्क की आधारशिला रखेंगे। वाराणसी में मोदी और मैक्रों की एक निजी भोज में भी शामिल होंगे। रविवार को इंटरनेशनल सोलर एलायंस (आईएसए) की पहली बैठक में भी दोनों नेता साथ रहेंगे।
इंडिया पैसिफिक पर भी होगी बात
इंडियन पैसिफिक क्षेत्र में भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच गठबंधन बनाने के प्रयासों को चीन की तरफ से विरोध के बावजूद पीएम मोदी मैक्रों के समक्ष इस गुट में शामिल होने का प्रस्‍ताव रखेंगे। भारत और अमरीका इस बात को लेकर पिछले कुछ समय से प्रयासरत हैं कि इस गुट में कुछ यूरोपियन देशों को भी जोड़ने की है। इसका मकसद इंडिया पैसिफिक गठबंधन को अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता दिलाने की है। फ्रांस से मिली जानकारी के मुताबिक हम चार देशों के गठबंधन को लेकर खुले मन से सोच रहे हैं। लेकिन हिंद महासागर में भारत के साथ रणनीतिक सहयोग पर फ्रांस ज्‍यादा जोर देगा। इसका मतलब यह नहीं है कि हम दूसरे विकल्पों पर विचार नहीं करेंगे।
बुरे दौर का साथी है फ्रांस
फ्रांस ने भारत को 1998 में तब रणनीतिक साझेदार बनाया था, जब परमाणु परीक्षण की वजह से अधिकतर देशों ने भारत पर प्रतिबंध लगाया था। यही वजह है कि फ्रांस और भारत के बीच नए रणनीतिक रिश्तों का आयाम ज्यादा व्यापक व वैश्विक होगा। फ्रांस भारत को एक अहम वैश्विक शक्ति के तौर पर देखता है।
राफेल को लेकर बड़ा बयान
राफेल डील को लेकर भारत में जारी सियासी गर्मी को देखते हुए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि भारत इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ किसी तरह की बहस के लिए डील की कुछ बारीकियों से पर्दा उठाना चाहता है तो फ्रांस सरकार विरोध नहीं करेगी। उन्‍होंने कहा कि इस डील में इकोनॉमिक, इंडस्ट्रियल और स्ट्रैटेजिक हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। उनका मानना है कि इस डील से दोनों देशों को फायदा हुआ है। डील पर बरती जा रही गोपनियता पर मैक्रों ने कहा कि दोनों देशों के बीच जब किसी मामले पर बेहद सेंसिटिव बिजनेस इंटरेस्ट शामिल रहते हैं तो खुलासे करना उचित नहीं रहता। कमर्शियल एग्रीमेंट कुछ कंपनियों के हितों से जुड़े हैं। लिहाजा इन पर गोपनीयता जायज है। कुछ टेक्निकल मुद्दों पर रहस्य केवल कॉमर्शियल एग्रीमेंट के कारण हैं।
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