चीन की इस रणनीति पर विशेषज्ञों का मानना है कि यू.एस टैरिफ में फेरबदल ही इसका नतीजा है, जबकि चीन का कहना है कि ये निर्णय अविश्वास की स्थिति में लिया गया है। चीन के नियामक अधिकारियों के अनुसार क्वालकम सेमीकंडक्टर बाजार का प्रमुख उत्पाद है जिसने अपने राजस्व का दो तिहाई हिस्सा चीन में बनाया है। मैकडोनाल्ड के सीईओ स्टीव ईस्टरबुक ने कहा है कि दूसरी तिमाही की आय ने हैरान किया है जो ट्रेड वॉर की वजह से अस्थिर हुई है और बाजार पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि ट्रेड वॉर ने बाजार को बुरी तरह प्रभावित किया है जिससे ग्राहकों का भरोसा भी डिगा है। इस वजह से हम बाजार की हर चाल पर नजर रखे हुए हैं जिससे हम प्रतिस्पर्धा की स्थिति में बने रहें। बीजिंग दो बड़ी कंपनियों के विलय को लेकर कुछ कठोर निर्णय ले सकता है। इसमें वॉल्ट डिजनी और 21वीं सदी के फॉक्स इंटरटेनमेंट के विलय को लेकर चीन की मंजूरी मिलनी बाकी है जिसको लेकर निवेशक सहमे हुए हैं।
कुछ निवेशकों का मानना है कि इस डील की बदौलत चीन अमरीकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप की उस रणनीति का जवाब देगा जिसमें उन्होंने आयात शुल्क को 5000 करोड़ रुपए कर दिया था। अगर चीन अपनी रणनीति में सफल होता है तो फॉक्स के शेयर में बीस फीसदी की गिरावट आएगी जिसका अमरीकी बाजार पर बुरा असर पड़ेगा। चीन ने विदेशी कंपनियों की मुश्किल बढ़ाने की तैयारी कर ली है। पिछले साल जब दक्षिण कोरिया ने अमरीकी मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अपनाया तो चीन ने उसे संप्रभुता के लिए खतरा बताया था। इसके बाद बीजिंग ने कोरियाई उत्पादों का बहिष्कार किया जिसमें कॉस्मेटिक, इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के साथ कोरिया में निर्मित कारें शामिल थीं। इस मसले पर चीनी बाजार के जानकार कहते हैं कि जो विदेशी कंपनियां चीन में अपना विस्तार करना चाहती हैं उनके लिए भविष्य में मुश्किल खड़ी होगी।
वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत