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150 साल बाद पूरा नीला दिखेगा चांद, 31 जनवरी को पूर्ण चंद्र ग्रहण!

दुलर्भ संयोग : एक माह में दूसरी बार आएगी पूर्णिमा

Jan 03, 2018 / 09:45 pm

Devesh Kr Sharma

Blue Lunar Eclipse

Blue Moon

वॉशिंगटन. 2018 का पहला चंद्र ग्रहण 31 जनवरी को हो सकता हैं। यह चंद्र ग्रहण आम नहीं बल्कि बेहद खास होगा। 31 जनवरी की रात धरती नीले चांद की गवाह बनेगी। वैज्ञानिक इसे ब्लू मून कहते हैं। ऐसा दुर्लभ संयोग करीब 150 साल बाद आया है। दरअसल, पूर्ण च्रंद ग्रहण का 31 जनवरी को होना संभावित है। सबसे पहले भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप क्षेत्र में चंद्रोदय के साथ ही ग्रहण शुरू हो जाएगा। हालांकि इसकी अवधि कुल 77 मिनट होगी। इसके कारण जनवरी माह में दूसरी पूर्णिमा का संयोग भी बनेगा।

चंद्रमा की दिशा में होगा प्रशांत महासागर :

वैज्ञानिक कारणों की बात करें तो इस दिन प्रशांत महासागर की दिशा चंद्रमा की ओर हो जाएगी और ग्रहण मध्य रात्रि के दौरान होगा। इससे मध्य और पूर्वी एशिया, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड और अधिकतर ऑस्ट्रेलिया के नागरिकों को शाम के समय के आसमान में इस चंद्रमा का एक शानदार नजारा देखने को मिलेगा। वहीं अमरीका के अलास्का और हवाई एवं कनाडा के उत्तर पश्चिमी भू-भाग में रहने वाले लोगों को ये ग्रहण शुरू से अंत तक पूरा दिखाई देगा।
अगली बार 2028 और 2037 में :

वैज्ञानिकों का कहना है कि इस दौरान चंद्रमा का निचला हिस्सा ऊपरी हिस्से की तुलना में ज्यादा चमकीला दिखेगा। इस साल के बाद अगली बार नीला चांद 31 दिसंबर, 2028 को फिर 31 जनवरी, 2037 को दिखेगा। दोनों ही बार पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। बता दें कि 2017 से पहले, 31 दिसंबर 2009 को आठ प्रतिशत आंशिक ग्रहण हुआ था, लेकिन एक ब्लू मून का आखिरी पूर्ण ग्रहण 31 मार्च, 1866 को हुआ था। इसलिए वैज्ञानिकों और विज्ञान प्रेमियों के लिए ये दिन बेहद खास होंगे। संभवतया दुनियाभर के शोध वेत्ताओं की नजर इस दौरान चंद्रमा में होने वाले परिवर्तनों और वैश्विक मौसम में बदलाव पर बनी रहेगी।

एक जनवरी को नजर आया था सुपर मून :

जहां चांद धरती के काफी करीब आया था, ऐसी स्थिति को सुपरमून कहा जाता है। भारतीय ताराभौतिकी संस्थान के प्रोफेसर (सेनि) रमेश कपूर ने बताया कि 1 जनवरी का सुपरमून दूरतम पूर्णिमा के चंद्रमा के मुकाबले 12 फीसदी अधिक बड़ा और 24 फीसदी अधिक चमकीला था। चूंकि, धरती सूर्य के करीब है इसलिए चांद की आभा लुभावनी लग रही थी। सुपर मून के दौरान धरती और चंाद की दूरी में कमी आती है।

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