सीरिया में एक खौफनाक कार ब्लास्ट में 43 लोगों के मारे जाने की खबर है। धमाके तुर्की सीमा से लगे सीरिया के व्यस्ततम बाजार में अंजाम दिए गए।
दमिश्क. सीरिया में एक खौफनाक कार ब्लास्ट में 43 लोगों के मारे जाने की खबर है। धमाके तुर्की सीमा से लगे सीरिया के व्यस्ततम बाजार में अंजाम दिए गए। किसी संगठन ने अभी हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है। सीरिया में तीन दिन के अंदर ये दूसरा बड़ा कार धमाका है। इससे पहले सरकार के कब्जे वाले जब्लेह में कार धमाके में 9 मासूम बच्चे मारे गए थे। दोनों हमले हफ्ते भर पहले सरकार और विरोधी सेना के सीजफायर के बाद हुए हैं।
हमलों के पीछे हो सकता है इनका हाथ
पिछले साल मई में भी इस्लामिक स्टेट द्वारा इलाके के भीड़ वाले बस स्टेशन और अस्पताल को निशाना बनाकर ऐसे हमलों को अंजाम दिया गया था। तब करीब 120 लोगों की मौत हो गई थी। पिछले हफ्ते सरकार और विपक्ष के बीच संघर्ष विराम का समझौता हुआ था, इसमें आईएस जैसे आतंकी संगठन शामिल नहीं थे।
हमलों की वजह से लाखों लोग कर चुके हैं पलायन
सिविल वॉर की वजह से लाखों की संख्या में लोग अपना घर-बार छोड़ कर यूरोपीय देशों में भाग चुके हैं। ज्यादातर ने जर्मनी और तुर्की की ओर रुख किया है। सीरिया का सिविल वॉर द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की सबसे बड़ी मानवीय क्राइसिस है।
इस तरह सीरिया में शुरू हुआ संकट
प्रेसिडेंट बशर अल असद के खिलाफ शुरू हिंसक प्रदर्शनों और संघर्ष में अब तक करीब 4 लाख से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 2011 में हुई एक छोटी-सी घटना ने सीरिया को सिविल वॉर की ओर धकेल लिया। यह मुट्ठीभर बच्चों की गिरफ्तारी से शुरू हुआ था। दरअसल, जुलाई 2011 में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए सीरियन आर्मी के
अफसरों के एक ग्रुप ने सेना छोड़ फ्री सीरियन आर्मी का गठन किया।
दिसंबर 2011 से 2012 तक जगह-जगह आत्मघाती बम ब्लास्ट किए गए। इसके बाद अलकायदा के लीडर अयमान अल जवाहिरी ने सीरियाई लोगों से जिहाद के लिए आगे आने की अपील की। बीते एक साल में इस्लामिक स्टेट भी वहां अपने आतंकी भेज रहा है। असद के लिए सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) को रूस सपोर्ट कर रहा है। वहीं, अमेरिका पर आरोप है कि वह असद के विद्रोहियों की मदद कर रहा है।