इस बात में दो राय भी नहीं हो सकती कि प्रेम का रूप ऐसा हो जो समाज की मान्यताएं ध्वस्त भले ही करे लेकिन प्रेम की गरिमा को स्थापित अवश्य करे। प्लेटोनिक लव भी इसी दुनिया में होते हैं, इसलिए प्रेम दर्शन का विषय तो हो सकता है, प्रदर्शन का कदापि नहीं। कबीर ने कहा भी है – प्रेम न बाड़ी उपजै, प्रेम न हाट बिकाय!
अनूप जलोटा विख्यात गायक हैं, अध्यात्म की अनुभूति के इच्छुक लोग उनके भजन सुनकर आह्लादित होते रहे हैं। उनका प्रेम इस बार हाट में है। अनूप के लिए यह प्रेम संभवतः उतना अनोखा न हो जितना कि हम सुनकर चकित हों। सोनाली सेठ उनकी पहली शिष्या थीं, जिनके मोहपाश में वे बंधे, लेकिन यह रिश्ता ज्यादा नहीं चला और सोनाली की संगति उनके तबलावादक रूपकुमार राठौड़ के साथ अधिक जमीं। नतीजतन वे सोनाली राठौड़ बन गई और दोनों मिलकर गाने लगे।
अनूप जलोटा ने दूसरा विवाह किया बीना भाटिया से, लेकिन यह रिश्ता भी जल्दी दम तोड़ गया। पूर्व प्रधानमंत्री आई. के. गुजराल की भतीजी मेधा गुजराल उनकी तीसरी पत्नी बनी, जिनकी मृत्यु 2014 में लीवर इंफेक्शन से हो गई। 65 साल के अनूप जलोटा साहब की जिंदगी में अब 28 साल की जसलीन मथारू की एंट्री हुई है जो इसलिए चर्चा का विषय अधिक है कि दोनों की उम्र में 37 साल का अंतर है। सवाल इस बात का नहीं है कि यह रिश्ता कितना सही है और कितना गलत! सवाल यह है कि यदि यह अनूप जलोटा की कोमल अनुभूतियों से उपजा प्रेम है तो इसे बाजार की आवश्यकता क्यों पड़ी? इस प्रेम दर्शन में प्रदर्शन की भावना कहां से आई? जिस विवादित शो में यह राज खुला, क्या इससे बेहतर प्लेटफार्म इस रिश्ते को एक्सपोज करने का नहीं हो सकता था?
– प्राची शर्मा
(फेसबुक वाल से साभार)