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आखिर क्यों लगता है एक ही विमान को समान दूरी तय करने में अलग-अलग समय?

Published: Oct 31, 2018 04:53:35 pm

Submitted by:

Arijita Sen

समान दूरी को तय करने में क्यों कभी-कभी इनके समय में अंतर पाया जाता है

jet blue

आखिर क्यों लगता है एक ही विमान को समान दूरी तय करने में अलग-अलग समय?

नई दिल्ली। आजकल वक्त को बचाने के लिए लोग हवाई जहाज से यात्रा करना ज्य़ादा पसंद करते हैं क्योंकि जहां ट्रेन 24 घंटे से ज्य़ादा का वक्त लेती है वहीं हवाई यात्रा के ज़रिए हम उसी दूरी को 2-3 घंटे के अंदर तय कर सकते हैं लेकिन क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि समान दूरी को तय करने में क्यों कभी-कभी इनके समय में अंतर पाया जाता है तो इस सवाल का जवाब हम आपको देते हैं।न्यूयॉर्क से टेक्सास के हॉस्टन निरंतर जाने वाली यानि कि बीच में बिना रूके एक उड़ान को अपने इस सफर को पूरा करने में करीब 3 घंटे,50 मिनट का वक्त लगा। अब बात करें साल 1973 के बारे में तो इसी सफर को पूरा करने में हवाई जहाज को मात्र 2 घंटे,37 मिनट का समय लगा।

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अब सवाल ये आता है कि एक ही हवाई जहाज को एक ही सफर तय करने में क्यों वक्त का अंतर आया? तो ये निर्भर करता है जहाज में प्रयोग किए गए ईंधन के क्वालिटी या दक्षता पर। ईंधन ही वो दूसरी वजह है जिसके चलते हवाई जहाज हमेशा प्लेन के भार को लेकर चिन्तित रहते हैं। कोशिश हमेशा उनकी यहीं रहती है कि भार कम से कम रहें और यही कारण है कि लगेज तय सीमा से ज्यादा होने पर वो एक्सट्रा चार्ज करते हैं ताकि उन्हें कोई घाटा न हों।

इसके साथ ही कभी-कभी हमें ये कहा जाता है कि हम निर्धारित स्थान पर समय सीमा से पहले लैंड कर गए हैं तो बता दें कि ऐसा अकसर नहीं होता है और इसके लिए एयरलाइंस अपने टिकिट या डिस्प्ले बोर्ड पर टाइम को थोड़ा बढ़ाकर दिखाते हैं ताकि यात्रियों को लगे कि वाकई में वो तय समय सीमा से पहले ही पहुंच गए है जबकि अंदर का माजरा पहले से ही तय होता है।

 Display board

बता दें कि धीमी गति से उड़ान भरने पर ईंधन के कम प्रयोग होने से एयरलाइंस को प्रतिवर्ष करोड़ो रूपए का मुनाफा होता है क्योंकि साल 2002 से 2012 के बीच प्रति गैलन ईंधन का मूल्य 0.70 डॉलर से बढ़कर 3 डॉलर हो गई थी।

साल 2008 के एक रिपोर्ट के अनुसार अपने प्रत्येक जहाज के उड़ान में मात्र दो मिनट की देरी से जेट ब्लू नामक हवाई संस्था को प्रतिवर्ष 13.6 मिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ।

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