उत्तराखंड के बदरीनाथ से 4 किलोमीटर की दूरी पर ‘माणा’ गांव स्थित है। यह भारत का आखिरी गांव है।
गांव का पौराणिक नाम ‘मणिभद्र’ है। कहा जाता है कि इसे भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त है। मान्यता है कि जो भी यहां आएगा, उसे सभी कर्जों और गरीबी से छुटकारा मिल जाएगा। टूरिस्ट यहां अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम देखने भी आते हैं। इसके अलावा गणेश गुफा, व्यास गुफा और भीमपुल भी यहां टूरिस्ट के बीच आकर्षण का केंद्र है।
गांव का पौराणिक नाम ‘मणिभद्र’ है। कहा जाता है कि इसे भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त है। मान्यता है कि जो भी यहां आएगा, उसे सभी कर्जों और गरीबी से छुटकारा मिल जाएगा। टूरिस्ट यहां अलकनंदा और सरस्वती नदी का संगम देखने भी आते हैं। इसके अलावा गणेश गुफा, व्यास गुफा और भीमपुल भी यहां टूरिस्ट के बीच आकर्षण का केंद्र है।
यहीं से होते हुए पांडव गए थे स्वर्ग यहां सरस्वती नदी पर ‘भीम पुल’ है। इसके बारे में कहानी प्रचलित है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे, तब उन्होंने सरस्वती नदी से आगे जाने के लिए रास्ता मांगा था, लेकिन जब सरस्वती नदी ने मना कर दिया तो भीम ने दो बड़ी शिलायें उठाकर इसके ऊपर रख दीं, जिससे पुल का निर्माण हुआ। कहते हैं कि इस पुल से होते हुए पांडव स्वर्ग चले गए। आज भी पुल मौजूद है।