मछली की इस प्रजाति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पानी की सतह पर आने मात्र से ही यह पिघलने लगती है। पेरू और चिली के तट से 160 किमी दूर महासागर की तलहटी में मिली मछलियों की यह प्रजाति देखने में भी बड़ी ही विचित्र है। बेहद नाजुक और जेलीनुमा दिखने वाली इन मछलियों का रंग भी बेहद अजीब है।
स्नेलफिश समुद्र के नीचे ठंडे जल में रहती है। सतह पर आते ही ये आइसक्रीम की तरह पिघलने लगती है। प्रशान्त महासागर में साढ़े सात हजार मीटर नीचे तैरने वाली इन मछलियों के फोटो लेने में भी वैज्ञानिक सफल रहें। स्नेलफिश की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है कि भले ही ये दिखने में कमजोर लगें,लेकिन भारी पानी के दबाव को भी ये आसानी से सह लेती है।
जेलीनुमा संरचना के कारण ही इनके लिए इस भार को सहना आसान होता है। इनकी सबसे मजबूत हड्डी इनके कानों और दांतों में होती है। कानों की हड्डी के वजह से ही ये आसानी से संतुलन स्थापित कर सकती है।
सबसे पहले दुर्लभ प्रजाति की इस एक मछली को एचडी कैमरे से युक्त फंदे की मदद से फंसाया गया। एक के बाद बाकी की मछलियां भी अपने आप फंदे में फंसती गईं। दुर्लभ प्रजाति की इन मछलियों को सुरक्षित रखा गया है। बता दें, एचडी कैमरा सिस्टम को समंदर की तलहटी तक जाने में करीब चार घंटे का समय लगा। इसके बाद मछलियों संग इसे बाहर आने में 12-14 घंटे का वक्त लगा।