पिछले साल इस इलाके में गैस्ट्रोएन्टेराइटिस के यही लक्षण यहां के लोगों में दिखने लगे थे। स्थानीय प्रशासन का कहना था कि नदी के पानी का सिर्फ रंग बदला है लेकिन वो जहरीली नहीं थी। हालांकि, इसके रंग बदलने के पीछे की हकीकत का अभी पता नहीं चल सका। प्रशासन के इस कदम के चलते कई लोग इस जगह को छोड़कर जा चुके हैं। जांच के बाद सामने आया था कि लोगों की परेशानी की वजह यहां के वाटर टैंक के पानी से हो रही थी।