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वहीं देखा जाए तो कपड़ों की बुनाई की कला का सबूत अब तक किसी को नहीं मिला है। इतिहासकारों की मानें तो आर्यों ने ही पहली बार वस्त्र शब्द का इस्तेमाल किया था। इसके बाद जैसे जैसे समय आगे बढ़ता गया पुरुष और महिलाएं के वस्त्र धारण करने का तरीका भी बदलता गया। समय के साथ महिलाएं अपनी कमर के चारों और कपड़ा लपेटने लगीं जो धीरे-धीरे उनके वस्त्र धारण करने की शैली बन गई। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम यह कह सकते हैं कि, सिंधु घाटी की महिलाओं द्वारा कमर पर लंगोट बांधने को बाद में साड़ी का रूप दिया गया था। इसके बाद जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे साड़ी धारण करने का तरीका भी बदलता गया। कम लंबे कपड़े से हुई इस शुरुआत के बाद समय के साथ-साथ इसकी लंबाई भी बढ़ती गई और आज मौजूदा रूप में इसे साड़ी के नाम से जाना जाने लगा।