इस गुफा के दर्शन करने के लिए भारी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं, दरअसल इस गुफा को लेकर लोगों में जबरदस्त जिज्ञासा है जिसकी वजह से हर कोई यहां पर जाना चाहता है। तो अब हम आपको इस गुफा की असलियत बताने जा रहे हैं और यह भी बताएंगे कि आखिर इसमें ऐसा क्या है जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
जिस गुफा के बारे में हम बात कर रहे हैं वो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट कस्बे के पहाड़ी इलाके में 90 फीट अंदर बनी है। इस गुफा में मौजूद पत्थरों को लेकर कहा जाता है कि इनसे पता चलता है कि दुनिया का अंत कहां होगा। आपको बता दें कि इस गुफा की खोज भगवान शिव के भक्त अयोध्या के राजा ऋतुपर्ण ने की थी।
आपको बता दें कि इस गुफा तक पहुंचना कोई बच्चों का खेल नहीं है, इस गुफा के अंदर काफी अंधेरा होता है लेकिन अब यहां लाइटिंग करवा दी गयी है। गुफा के अंदर जाते ही एक कमरा मिलेता है जिसमें करीब 33 हजार देवी देवता की मूर्तिया है साथ ही यहां पर बहता पानी भी है।
इस मंदिर में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजी की जाती है। इस गुफा में बने 4 द्वारों को पाप द्वार, रणद्वार, धर्मद्वार और मोक्ष के रूप में बनाया गया है। इस गुफा का पाप द्वार रावण की मृत्यु के बाद, रणद्वार महाभारत के बाद बंद हो गया था जबकि धर्मद्वार अभी भी खुला है। इस गुफा के अंदर जाने का रास्ता बेहद संकरा है साथ ही यहां पर आपको दीवार पर एक हंस की आकृति दिखाई देगी। ऐसा माना जाता है कि ये भगवान ब्रम्हा का हंस है।