दिल्ली के चांदनी चौक में लगातर 225 सालों से चल रही इस दुकान की बात ही कुछ और है। 1790 में इस दुकान की शुरुआत हुई थी। उस जमाने में दिल्ली पर मुगल बादशाह शाह आलम सेकंड का शासन था। मुगल शासक इस दुकान पर मिठाई खाने आते थे।
जयपुर के आमेर के रहने वाले लाला सुखलाल जैन ने इस दुकान की शुरूआत की थी। दरअसल, सुखलाल जैन दिल्ली में कभी मिठाई का व्यवसाय करने की सोचकर ही यहां आए थे।यहां आकर उन्होंने ठेले पर मिश्री-मावा बेचना शुरू किया। लोग धीरे-धीरे उन्हें पहचानने लगे। हर जगह उनकी मिश्री-मावे की मांग बढ़ने लगी और उन्होंने फिर इस दुकान की शुरूआत की।
सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इसकी खास पहचान है। मुगल बादशाह से लेकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी यहां आ चुके हैं। इंदिरा गांधी को भी यहां की मिठाई का स्वाद चखना बेहद पसंद था। मशहूर गायक मोहम्मद रफी भी घंटेवाला के फैन रह चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई यहां की जलेबियों के कायल थे। लोगों का तो यहां तक कहना है कि, दीपावली के दिन यहां मिठाई खरीदने वालों की इतनी भीड़ लगी होती थी कि उन्हें कंट्रोल करने के लिए पुलिस बुलवाना पड़ता था।
दुकान के वर्तमान मालिक सुशांत जैन ने बताया कि, मुगल शासक शाह आलम की सवारी जब दुकान के सामने से गुजरती थी तो उनका हाथी इस दुकान के आगे आकर रुक जाता था।जब तक वह यहां की मिठाई नहीं खा लेता था, तब तक आगे नहीं बढ़ता था।
आठ पुश्तों से चल रही यह दुकान पिछले साल बंद हो गई। मालिक सुशांत जैन का कहना है कि, बिक्री कम होने के चलते यह कदम उठाना पड़ा। आज भले ही यह दुकान बंद हो गई है, लेकिन गूगल पर घंटेवाला सर्च करने पर आज भी इसके बारे में जानकारी मिलती है। आज भी लोग यहां इस दुकान को देखने के लिए आते हैं।