इस पूरे वाक्ये के बाद जब यहां खुदाई की गई तो लोगों की सिट्टी-पिट्टी गुल हो गई। खुदाई के दौरान यहां जगह-जगह पर भारी संख्या में शिवलिंग मिले। लेकिन जमीन के नीचे से मिले इन शिवलिंग के सच्चाई पता चली तो लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई। इतिहासकारों ने बताया कि ये शिवलिंग कोई साधारण शिवलिंग नहीं बल्कि बेहद ही खास हैं। इतिहासकार देवेंद्र ओली की मानें तो ये शिवलिंग 700-800 साल पुराने हो सकते हैं। शिवलिंग के बारे में जानकारी जुटाने वाले इतिहासकारों ने बताया कि ये शिवलिंग 12-13वीं शताब्दी के हो सकते हैं, जिन्हें चंद शासनकाल के दौरान बनाया गया होगा।
खुदाई में मिले कुछ शिवलिंग को पूर्ण रूप से तैयार हैं, जबकि कुछ शिवलिंग बिना फिनिशिंग के ही मिले हैं। यहां के एक स्थानीय निवासी भैरव दत्त जोशी ने बताया कि आए दिन किसी न किसी तरह की खुदाई के वक्त ऐसे शिवलिंग काफी संख्या में मिल जाते हैं। भैरव की मानें तो ये शिवलिंग न सिर्फ मंदिर की जगह पर बल्कि आस-पास के इलाकों में भी मिल जाते हैं। ओली ने फिलहाल शिवलिंग के बारे में ज़्यादा बोलने से बचने का ही प्रयास किया है। उनका मानना है कि जब तक पुरातत्व विभाग इन शिवलिगों का अवलोकन नहीं कर लेता, तब तक कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी।