स्वस्थ व्यक्तिजिसकी उम्र 18-60 साल तक हो, वजन 48 किलोग्राम से ज्यादा, हीमोग्लोबिन 12.5 ग्राम प्रति डेसिलीटर, लंबे समय से कोई बीमारी ना हो, वह तीन माह के अंतराल में एक बार रक्तदान कर सकता है।
ब्लड टेस्ट से जानकारी
शरीर में होने वाली अधिकतर बीमारियों के बारे में ब्लड टेस्ट से ही पता चलता है। इसके जरिए एचआईवी, एनीमिया, थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल, हैपेटाइटिस सी व बी, डायबिटीज, ब्लड कैंसर, किडनी संबंधी रोग, थैलेसीमिया, डेंगू, मलेरिया और लिवर में तकलीफ आदि के बारे में पता चल पाता है।
३5-४2 दिन तक रक्त को सुरक्षित रखा जा सकता है।
कृत्रिम रक्त
ऐसा कोई रक्तनहीं होता। वॉल्यूम एक्सपेंडर आते हैं जो कि ब्लड ना होकर पानी के जैसे होते हैं। इमरजेंसी के दौरान जब ब्लड की कमी होती है तो वॉल्यूम एक्सपेंडर से ब्लड प्रेशर को संतुलित किया जाता है।
ब्लड के प्रकार
प्लेटलेट्स काउंट
यह शरीर में खून का थक्का बनाती हैं। जब हमें कोई चोट लगती है तो खून के बहाव को यही प्लेटलेट्स रोकती हैं।
रेड ब्लड सेल्स
यह सेल्स शरीर में ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम करती हैं। हर सेल्स में एक प्रोटीन होता है जिसे हीमोग्लोबिन कहते हैं। वाइट ब्लड सेल्स यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखती हैं जिनसे हम विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ पाते हैं।
बच्चों में खून की कमी
ज्यादातर माता-पिता बच्चे के 1 साल से ऊपर होने पर भी उसे दूध पर ही रखते हैं। दूध में आयरन काफी कम होता है जिससे बच्चा एनीमिक हो जाता है। इसलिए छह माह के बाद बच्चे को दूध के अलावा अन्य चीजें भी खिलाएं।
ऐसे होता है ब्लड प्यूरीफाई
रक्त फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर हृदय की बायीं ओर से गुजरते हुए पूरे शरीर में ऑक्सीजन को पहुंचाता है और फिर दोबारा हृदय की दांयी ओर से होकर फेफड़ों तक पहुंचता है। यह प्रक्रिया ऐसे ही चलती रहती है।
रक्त संबंधी बीमारियां
थैलेसीमिया : यह रोग बच्चों में जन्म से होता है।
इलाज : बच्चों को नियमित रूप से खून चढ़ाना पड़ता है।
एनीमिया : शरीर में आयरन की कमी से होता है।
इलाज : हरी सब्जियां, फल व पौष्टिक आहार लें।
ताकत देता है ब्लड
हम जो भी कुछ खाते हैं वह आहार नली में जाकर पाचन प्रक्रिया के बाद रक्तमें एब्जोर्ब हो जाता है। फिर रक्तइन पोषक तत्वों को लिवर में ले जाता है जहां शरीर की जरूरत के हिसाब से इनका बंटवारा हो जाता है।
खानपान सुधारें
शरीर में रक्त निर्माण के लिए हरी सब्जियां, सलाद और फल खाएं। व्यायाम करें ताकि पसीना निकले इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से होता है। रोजाना प्राणायाम करें ताकि फेफड़ों तक पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन जाए।