शरीर में मौजूद 80 हजार से ज्यादा तंत्रिकाएं प्राणायाम से शुद्ध होती हैं। इससे ऊर्जा का प्रवाह संतुलित रहने के साथ ही पूरा शरीर भी स्वस्थ रहता है। नियमित और सही तरीके से प्राणायाम करने से दिमाग और शरीर दोनों ही रोग मुक्त रहते हैं। अनुलोम-विलोम और भस्त्रिका आदि करने से हृदय संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है और हृदय अच्छी तरह से काम करता है। प्राणायाम में सांस की गति हर अंग की कोशिका को आराम पहुंचाती है जिससे कई सूक्ष्म दर्द में राहत मिलती है।
हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और डिप्रेशन आदि में प्र्राणायाम लाभकारी है। इस दौरान ध्यान लगाने से शरीर में ऐसे हार्मोन का स्त्राव होता है जो शरीर को रिलैक्स करते हैं। अस्थमा या सांस की बीमारी होने पर इससे फेफड़ों को आराम मिलता है।
प्राणायाम करने से ऑक्सीजन सभी अंगों तक आसानी से पहुंचती है जिसका असर पाचनक्रिया पर भी पड़ता है। पाचन सुधरने से त्वचा की चमक भी बढ़ती है।
प्राणायाम से एकाग्रता, याद्दाश्त बढऩे के साथ ही तनाव कम होता है। साथ ही दिमाग की तंत्रिकाएं रिलैक्स होती हैं, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ जाती है। यानी रक्तसंचार बढ़ने से दिमाग को तनावमुक्त होने में मदद मिलती है।
शरीर पर पूरी तरह से नियंत्रण रखने में प्राणायाम से मदद मिलती है। यही वजह है कि इस क्रिया को नियमित करने से भोजन करने की बार-बार इच्छा पर स्वत: विराम लग जाता है जिससे वजन नियंत्रित होने में मदद मिलती है। ऐसे में हमारे शरीर में होने वाला असंतुलन खुद ही सामान्य होने लगता है जिससे चर्बी कम होने लगती है। प्राणायाम करने के दौरान सांस के जरिए हमारे शरीर के चक्र धीरे-धीरे संतुलित होने लगते हैं जिससे भूख पर नियंत्रण भी बढ़ जाता है।