मालूम हो कि वर्तमान में रैक पाइंट रेलवे स्टेशन के समीप होने से ट्रकों की आवाजाही के कारण नागरिक परेशान रहते हैं। जिला कृषि प्रधान होने से फसल सीजन के दौरान करीब 40 हजार मीट्रिक टन खाद आती है। इससे दिन रात रैक पाइंट पर ट्रकों की आवाजाही होती है वहीं मंडी में आवक सीजन के दौरान हजारों क्ंिवटल अनाज रैक पाइंट से बाहर जाता। इन सीजनों के दौरान सौ से अधिक ट्रकों का दिन भर शहर की सड़कों से होकर आना जाना होता है। इससे हादसों का डर भी बना रहता है। वहीं जाम, उड़ती धूल व शोरशराबे का सामना नागरिकों को करना पड़ता है। इन सभी समस्या नागरिकों की मांग को देखते हुए इस रैक पाइंट को शहर से दूर सौराईपर बनाया जा रहा।
12 करोड़ की लागत तैयार हो रहा है पाइंट
इस नए रैक पाइंट का कार्य करीब तीन वर्ष से चल रहा है। करीब 12 करोड़ की लागत से यह रैक पाइंट तैयार हो रहा। करीब 70 प्रतिशत कार्यपूरा होना माना जा रहा है। मार्डन रैक पाइंट होने से यहां शेड व गोदाम आदि नहीं बनाए जा रहे। रैक पाइंट के लिए ऑफिस एवं कर्मचारियों के भवन तैयार हो चुके। बड़ा प्लेटफार्म भी लगभग तैयार है और अभी प्लेटफार्म के बड़े हिस्से में पेबर ब्लाक का कार्य रह गया। इसके अलावा रेल पटरियों व यार्ड संबंधी कार्य अभी रह गए हैं।
इस नए रैक पाइंट का कार्य करीब तीन वर्ष से चल रहा है। करीब 12 करोड़ की लागत से यह रैक पाइंट तैयार हो रहा। करीब 70 प्रतिशत कार्यपूरा होना माना जा रहा है। मार्डन रैक पाइंट होने से यहां शेड व गोदाम आदि नहीं बनाए जा रहे। रैक पाइंट के लिए ऑफिस एवं कर्मचारियों के भवन तैयार हो चुके। बड़ा प्लेटफार्म भी लगभग तैयार है और अभी प्लेटफार्म के बड़े हिस्से में पेबर ब्लाक का कार्य रह गया। इसके अलावा रेल पटरियों व यार्ड संबंधी कार्य अभी रह गए हैं।
विधायक बोले- बनवाएंगे शेड व गोदाम
इस रैक पाइंट में मुख्य समस्या शेड व गोदाम न बनाए जाने से आने वाली है। इस संबंध में विभिन्न व्यापारिक संगठनों ने रेलवे को पत्र लिखे लेकिन उन पर अब तक कोई विचार नहीं हो पाया है। अब विधायक शशांक भार्गव ने इस दिशा में प्रयास करने की बात कही है। विधायक भार्गव का कहना है कि जिला कृषि प्रधान है। इससे यहां खाद, अनाज की रैक का आना जाना रहता है। इसके अलावा शहर के विस्तार के साथ यहां भवन निर्माण सामग्रियों का व्यवसाय बढ़ा है। खासकर बड़ी मात्रा सीमेंट आती है। शेड व गोदाम नहीं आने से बारिश में अनाज, खाद व सीमेंट के भींगने और उनके खराब होने का खतरा बढ़ेगा। इसलिए रैक पाइंट पर यह शेड व गोदाम प्रमुख जरूरतों में है। इसके लिए रेलवे अधिकारियों को पत्र लिखे जाएंगे एवं व्यक्तिगत रूप से भी चर्चा कर रैक पाइंट में इन दोनों प्रमुख जरूरतों को पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा।
इस रैक पाइंट में मुख्य समस्या शेड व गोदाम न बनाए जाने से आने वाली है। इस संबंध में विभिन्न व्यापारिक संगठनों ने रेलवे को पत्र लिखे लेकिन उन पर अब तक कोई विचार नहीं हो पाया है। अब विधायक शशांक भार्गव ने इस दिशा में प्रयास करने की बात कही है। विधायक भार्गव का कहना है कि जिला कृषि प्रधान है। इससे यहां खाद, अनाज की रैक का आना जाना रहता है। इसके अलावा शहर के विस्तार के साथ यहां भवन निर्माण सामग्रियों का व्यवसाय बढ़ा है। खासकर बड़ी मात्रा सीमेंट आती है। शेड व गोदाम नहीं आने से बारिश में अनाज, खाद व सीमेंट के भींगने और उनके खराब होने का खतरा बढ़ेगा। इसलिए रैक पाइंट पर यह शेड व गोदाम प्रमुख जरूरतों में है। इसके लिए रेलवे अधिकारियों को पत्र लिखे जाएंगे एवं व्यक्तिगत रूप से भी चर्चा कर रैक पाइंट में इन दोनों प्रमुख जरूरतों को पूरा कराने का प्रयास किया जाएगा।
रैक पाइंट का 30 प्रतिशत कार्य शेष है। नॉन इंटरलॉकिंग एवं यार्ड संबंधी कार्य होना है। गोदाम व शेड के लिए अगर डिमांड आएगी तो इस पर विचार किया जाएगा।
-रणवीरसिंह राजपूत, एडीआरएम
-रणवीरसिंह राजपूत, एडीआरएम