अधिकारियों के समय पर नहीं आने के कारण मंगलवार को जन सुनवाई में आए फरियादी अधिकारियों का घंटों इंतजार करते हैं। इसके बावजूद भी कई अधिकारी जनसुनवाई में पहुंचे ही नहीं। ऐसे में दूर-दूर से आए कई फरियादियों को खाली हाथ वापस होना पड़ा। मालूम हो कि मंगलवार को एसडीएम बाहर गए हुए थे, जिसका फायदा अधिकारियों ने भी खूब उठाया। जिसके चलते समय पर अधिकांश अधिकारी जनसुनवाई में नहीं पहुंचे। वहीं जो पहुंचे तो उन्होंने भी सुनवाई के नाम पर औपचारिकता की। जिससे फरियादी परेशान होते रहे।
सरकार ने लोगों की समस्याओं का मौके पर ही निराकरण के लिए जनसुनवाई तो शुरु कर दी, लेकिन स्थानीय अधिकारी सरकार की मंशा को पलीता लगा रहे हैं और जनसुनवाई को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ऐसे में फरियादियों की समस्याओं का तुरंत निराकरण नहीं हो पा रहा है। वहीं कई बार तो बार-बार चक्कर काटने के बाद भी निराकरण नहीं हो पा रहा है।
जनसुनवाई में सुनवाई नहीं हो पाने के कारण आवेदकों की संख्या में लगातार कमी देखने को मिल रही है। पहले जहां यहां होने वाली जनसुनवाई में सुबह साढ़े दस बजे से ही फरियादियों की भीड़ लगी रहती थी, वहीं अब पहले की अपेक्षा काफी कम फरियादी जनसुनवाई में नजर आते हैं।
तहसील स्तर के कई अधिकारी-कर्मचारियों का आलम यह है कि वे एसडीएम के निर्देशों को भी तवज्जो नहीं दे रहे हैं। सूरनताल निवासी गोविंद सिंह यादव ने बताया कि गांव की शासकीय भूमि पर दबंगों ने कब्जा कर खेती कर रहे हैं और शासकीय रास्ते पर भी कब्जा कर रखा है। जिसकी शिकायत पिछली जनसुनवाई में ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर की थी। जिसके चलते एसडीएम ने पटवारी से समस्या का समाधान करवाने के लिए कहा था। लेकिन स्थिति यह है कि एक हफ्ते बाद भी पटवारी गांव तक नहीं पहुंचा। वहीं इस बार एसडीएम मिले नहीं और न ही कोई जिम्मेदार अधिकारी। जिससे जनसुनवाई में इस बार आना व्यर्थ रहा। इसलिए यदि जल्द सुनवाई नहीं हुई, तो वे कलेक्टर से मामले की शिकायत करेंगे।
अधिकांश विभागों के अधिकारी जनसुनवाई में स्वयं नहीं जाकर अपने अधिनस्थ कर्मचारियों को प्रतिनिधी बनाकर भेज देते हैं। ऐसे में प्रतिनिधियों को काम का ज्यादा अनुभव नहीं होने के कारण वे फरियादियों की समस्याओं का ठीक से निराकरण नहीं कर पाते हैं और आगे के लिए काम टाल देते हैं। जनसुनवाई में जिन विभागों से अधिकांशत: अधिकारी नहीं आते उनमें प्रमुख रूप से जनपद, विद्युत वितरण कंपनी, कृषि विभाग, राजस्व विभाग, पीएचई आदि शामिल हैं। जबकि इन्हीं विभागों से संबंधित शिकायतें ज्यादा आती हैं।
जनसुनवाई में समय पर अधिकारियों के नहीं पहुंचने की प्रमुख वजह यह है कि अधिकांश अधिकारी कलेक्टर के निर्देशों का मखौल उड़ाते हुए तहसील मुख्यालय पर रहने की बजाए भोपाल से अपडाउन करते हैं। जिसके चलते ट्रेन-बस लेटलतीफ होने पर वे समय पर दफ्तर नहीं पहुंच पाते हैं।
-मैं तो शासकीय कार्य से बाहर हूं, लेकिन जनसुनवाई में विभिन्न विभागों के अधिकारियों को समय पर पहुंचना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ है, तो जनसुनवाई में देरी से पहुंचने वाले अधिकारियों को नोटिस देकर जवाब मांगा जाएगा। – बृजविहारी श्रीवास्तव, एसडीएम, सिरोंज