scriptजिला अस्पताल से हर दिन दस मरीज को भोपाल कर रहे रैफर | Referred to Bhopal by ten people every day from District Hospital Vidi | Patrika News

जिला अस्पताल से हर दिन दस मरीज को भोपाल कर रहे रैफर

locationविदिशाPublished: Feb 12, 2019 11:23:25 pm

Submitted by:

Krishna singh

मेडिकल कॉलेज के बाद भी बन रही नौबत

Ambulance

hospital

विदिशा. जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद अच्छे इलाज की उम्मीद में मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन उपचार में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा। हर दिन औसतन 10 मरीज जिला अस्पताल से भोपाल रैफर हो रहे हैं। वहीं हर माह हजार से अधिक मरीजों को इलाज अधूरा छोड़कर अस्पताल से जाना पड़ रहा है।
मालूम हो कि जिला अस्पताल जिले के मरीजों की उम्मीदों का अस्पताल है। मेडिकल कॉलेज शुरू होने से अच्छे इलाज की चाह में विदिशा जिले के अलावा आसपास जिले के मरीज भी जिला अस्पताल आ रहे हैं। अस्पताल में डॉक्टरों के अलावा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की भी सेवाएं बढ़ गई। इससे कई विशेषज्ञ अस्पताल को मिले हैं, लेकिन इसके बाद भी मरीजों को भोपाल रैफर करना नहीं रुक रहा और हर दिन करीब 10 मरीज रैफर करने की स्थिति बनी हुई है।
करीब 130 डॉक्टर हैं अस्पताल में
जिला अस्पताल में पहले से पदस्थ करीब 31 डॉक्टर हैं। इनमें 10 डॉक्टर क्लास-वन हैं। वहीं मेडिकल कॉलेज के करीब 100 डॉक्टर अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। नाक-कान गला, आर्थोपेडिक्स, हड्डी रोग विशेषज्ञ, मेडिकल विशेषज्ञ, सर्जिकल आदि के विशेषज्ञ हैं, लेकिन मरीजों को संतोषजनक सेवाएं नहीं मिल पा रही। इससे मरीजों को अस्पताल में अधूरा उपचार लेकर जाना पड़ रहा है या रैफर होना पड़ रहा है।
रैफर के यह बन रहे कारण
अस्पताल कर्मचारियों के मुताबिक मरीज के गंभीर स्थिति में होने के कारण ही ऐसी ही स्थिति बनती है। अस्पताल में सीआर्म मशीन नहीं इससे हड्डी के लिए राड आदि डालने का कार्य नहीं हो पाता और मरीज को रैफर करना पड़ता है। सीटी स्केन मशीन नहीं होने से भी इस तरह की नौबत बनती है। यहां इलेक्ट्रोलाइट जांच नहीं हो पाती। वहीं वेंटीलेटर जैसी सुविधाएं नहीं होने और कई बार दवाओं व संबंधित अन्य उपकरणों की कमी से मरीज को रैफर करना पड़ रहा है।
तीन-तीन दिन में बांटी डॉक्टरों की सेवाएं
जिला अस्पताल में डॉक्टरों की सेवाएं तीन-तीन दिन में बांटी गई है। इसमें तीन दिन सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को जिला अस्पताल के डॉक्टर भर्ती एवं ओपीडी मरीजों को देखते हैं वहीं तीन दिन मंगल, गुरु एवं शनिवार को मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भर्ती व ओपीडी मरीजों की जांच कर उपचार सेवा देते हैं। इसी तरह रविवार का भी रोटेशन है। जनवरी माह की स्थिति देखें तो करीब 200 भर्ती मरीज अस्पताल प्रबंधन को बताकर अस्पताल छोड़ गए। वहीं करीब 1 हजार 150 भर्ती मरीजों को बिना बताए अस्पताल छोड़कर जाना पड़ा।
यह बन रही रैफर की स्थिति
माह मरीज
नवंबर 301
दिसंबर 360
जनवरी 310

इन्होंने बिना बताए छोड़ा अस्पताल
माह मरीज
नवंबर 1500
दिसंबर 1153
जनवरी 1150

मरीज के गंभीर हालत में आने और यहां इलाज संभव नहीं होने की स्थिति में मरीज को भोपाल रैफर करने की नौबत बनती है। वैसे अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों के बीच मरीजों का बेहतर इलाज करने के प्रयास किए जाते हैं।
डॉ. संजय जैन, प्रभारी सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
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