इस विधानसभा में भी पहले हिन्दू महासभा का वर्चस्व रहा, लेकिन फिर कांग्रेस, जनसंघ और भाजपा के प्रत्याशी जीतते रहे। लेकिन 66 वर्ष के इतिहास में किसी भी बड़े दल ने महिला प्रत्याशी को बासौदा विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी नहीं बनाया। पहला मौका है जब किसी बड़े राजनैतिक दल से यहां महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस के जैन उम्मीदवार निशंक जैन के खिलाफ जैन प्रत्याशी उतारने के लिए भाजपा ने लीना जैन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
सन् 1952 में मध्यभारत में यह क्षेत्र काफी चर्चित रहा। प्रदेश के दो बड़े चर्चित नेता कांग्रेस के बाबू तख्तमल जैन की टक्कर हिन्दू महासभा के निरंजन वर्मा से हुई। इस चुनाव में निरंजन वर्मा ने बाबू तख्तमल को हराया। इसके बाद 1962 में कांग्रेस के रामसिंह, 1972 में जनसंघ के सीताराम ढांडी, 1977 में जनता पार्टी के जमना प्रसाद चौरसिया, 1980 में फूलचंद वर्मा, 1985 में कांग्रेस के वीरसिंह रघुवंशी, 1989 में भाजपा के अजय सिंह रघुवंशी जीते। इसके बाद 1993 में कांग्रेस से रामनारायण तेनगुरिया, 1998 में कांग्रेस के वीरसिंह रघुवंशी, 2003 और 2008 में भाजपा के हरिसिंह रघुवंशी विधायक बने।
2013 के चुनाव में कांग्रेस के निशंक जैन यहां से निर्वाचित हुए। इसके बाद अब फिर कांग्रेस से निशंक जैन ही उम्मीदवार बनाए गए हैं। जबकि भाजपा ने कांग्रेसी जैन प्रत्याशी के सामने अपना प्रत्याशी भी जैन ही घोषित करने की मंशा से लीना जैन को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इस लिहाज से लीना जैन इस विधानसभा क्षेत्र से किसी भी बड़े राजनैतिक दल की पहली महिला उम्मीदवार हैं।
बासौदा के लिए दोनों की जी तोड़ कोशिश…
गंजबासौदा विधानसभा सीट पर इस समय कांग्रेस का कब्जा है। जहां कांग्रेस अपना यह कब्जा बरकरार रखना चाहेगी वहीं भाजपा कांग्रेस से यह सीट छीनने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है।
यही कारण है कि इस बार कांग्रेस प्रत्याशी निशंक जैन के मुकाबले भाजपा ने लीना जैन को उतारकर समाज का कार्ड भी खेला है। जहां निशंक जैन मौजूदा विधायक हैं, वहीं लीना जैन बासौदा नगर पालिका की अध्यक्ष रह चुकी हैं। हालात किसी के लिए भी आसान नहीं हैं। काफी समय बाद यहां रघुवंशी प्रत्याशी विहीन चुनाव हो रहा है।
विदिशा से निकले हैं दो सीएम एक कांग्रेस से, दूसरे भाजपा से…
राजनैतिक रूप से समृद्ध विदिशा जिले की माटी से दो मुख्यमंत्री निकले हैं इनमें से एक तत्कालीन मध्य भारत के और दूसरे मौजूदा मध्य प्रदेश के। यह भी रोचक तथ्य है कि इन दोनों में से बाबू तख्तमल जैन कांग्रेस से मुख्यमंत्री बने थे और शिवराज सिंह चौहान भाजपा से मुख्यमंत्री हैं।
इन दोनों ही मुख्यमंत्रियों के निवास भी विदिशा रहे हैं। बाबू तख्तमल जैन का माधवगंज में और शिवराज सिंह चौहान का शेरपुरा में अब भी घर है। मध्यभारत के मुख्यमंत्री तख्तमल जैन उस समय राजनीति का बड़ा नाम था। कद्दावर कांग्रेस नेता के रूप में उनकी सभी दलों में अपनी अलग साख थी।
माधवगंज में प्याऊ के पास अब भी उनका मकान और उनकी विरासत मौजूद है। उनका अंतिम संस्कार भी जैन कॉलेेज परिसर के पास किया गया, जहां उनकी समाधि अभी भी मौजूद है। क्षेत्र की सिंचाई के लिए हलाली बांध, एसएटीआई को विदिशा लाने, सेठ सिताबराय लक्ष्मीचंद जैन के माध्यम से जैन स्कूल और जैन कॉलेज स्थापित कराने सहित यहां के विकास में उनकी खासी भूमिका रही। वे दो बार मुख्यमंत्री बने।
पहले वे 12 अक्टूबर 1950 को और फिर 18 अप्रेल 1955 को मुख्यमंत्री बने। 1956 में जब मप्र का निर्माण हुआ उस समय बाबू तख्तमल ही मध्यभारत के मुख्यमंत्री थे।
बुधनी सीट रख विदिशा से दिया था इस्तीफा…
जबकि विदिशा से हुए दूसरे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हैं, जो अभी भी अपने पद पर काबिज हैं। लगातार 5 बार विदिशा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। सांसद रहते हुए ही वे 29 नवम्बर 2005 में मुख्यमंत्री बने और तब से अब तक लगातार 13 साल से सीएम के पद पर मौजूद हैं। वे 2013 में विदिशा से विधानसभा चुनाव भी जीते, लेकिन बुधनी सीट अपने पास रखकर विदिशा से इस्तीफा दे दिया।
चौहान ने सांसद रहते हुए शेरपुरा में अपने रहने के लिए एक मकान भी किराए पर लिया था, जो आज भी उनके ही पास है। वे जब भी विदिशा आते हैं तो यहां भी रुकते हैं। यह किराए का मकान अब सीएम हाउस के नाम से जाना जाता है। मेडिकल कॉलेज, कन्या और नवीन महाविद्यालय भवन, बायपास, तीन पुल, ऑडीटोरियम, सहित जिले भर में कई विकास कार्यों में उनकी भूमिका रही है।