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राष्ट्रीय स्तर पर खूब गूंजी है विदिशा के खिलाडिय़ों की तूती, जानें कौन हैं वे?

locationविदिशाPublished: Aug 28, 2018 03:16:08 pm

Submitted by:

govind saxena

राष्ट्रीय स्तर पर खूब गूंजी है विदिशा के खिलाडिय़ों की तूती, जानें कौन हैं वे?

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राष्ट्रीय स्तर पर खूब गूंजी है विदिशा के खिलाडिय़ों की तूती, जानें कौन हैं वे?

विदिशा. नगर के मैदान कभी खेलों के स्वर्णिम दौर से भी गुजरे हैं। फुटबॉल, व्हॉलीबॉल, बैडमिंटन, टेबिल टेनिस, बॉस्केटबॉल का यहां जलवा रहा है। लेकिन बदलते दौर में अधिकांश खेल सिमटते चले गए। अब केवल ताइक्वांडो ऐसा खेल जिले में रह गया है, जिससे मैडलों की बरसात की उम्मीद हमेशा रहती है। यही वह खेल है जिसने जिले को विश्वामित्र, चार विक्रम और तीन एकलव्य अवार्ड दिलाए हैं। फुटबॉल, बास्केटबॉल और एथलेटिक्स से भी कुछ उम्मीदें जागी हैं। आज खेल दिवस पर हम विदिशा के खेल जगत के ऐसे ही सुनहरे पन्ने पलट रहे हैं।

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बैडमिण्टन- गोयल का सात साल तक एकछत्र राज
बैडमिण्टन और टेबिल टेनिस में विष्णु गोयल के सिवाय विदिशा में कोई उनकी बराबरी का नाम नहीं रहा। सन् 1969 से 1977 तक लगातार सक्रिय रूप से बैडमिण्टन का जिले में पर्याय रहे विष्णु गोयल बताते हैं कि वे स्कूली दौर में ही बैंगलोर और त्रिवेंद्रम में जूनियर बैंडमिण्टन प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुके है। स्टेट में कई बार खेले। गोयल लगातार सात वर्ष तक भोपाल विश्वविद्यालय के बैडमिण्टन चैम्पियन रहे। वे टेबिल टेनिस में भी विश्वविद्यालय के चैम्पियन रह चुके हैं।

गोयल का मानना है कि बैडमिण्टन अब विदिशा में बढ़ नहीं पा रहा। यहां इस खेल के लिए कोर्ट ही नहीं हैं। एक कोर्ट एसएटीआई में है, जहां सभी का जाना मुश्किल होता है, दूसरा कोर्ट जैन कॉलेज में बना था, जिस पर 20 साल से जिला निर्वाचन कार्यालय ने कब्जा कर रखा है। इसके साथ ही बैडमिण्टन की शटल कॉक भी अब बहुत महंगी आने लगी है, जिस पर सरकार कोई सब्सिडी नहीं देती।

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फुटबॉल के नेशनल प्लेयर रहे प्रेम सिंह
पश्चिम मध्य रेलवे के फुटबॉल कोच और भोपाल रेलवे में पदस्थ प्रेमसिंह राजपूत १९७७ में जूनियर नेशनल फुटबॉल और 1982 से 86 तक यूनिवॢसटी खेल चुके हैं। वे बताते हैं कि विदिशा की फुटबॉल के लिए 1982 से 85 तक का दौर स्वर्णिम था। उस दौरान हमारे नगर में कई बेहतरीन फुटबॉलर होते थे। ऐसा भी कई बार होता था जब भोपाल विश्वविद्यालय की टीम में विदिशा के 7-8 खिलाड़ी हुआ करते थे।

राजपूूत मानते हैं कि एक बार फिर विदिशा में फुटबॉल जिन्दा हो रही है। उनके और रविकांत नामदेव की देखरेख में एसटीआई, जैन कॉलेज और स्टेडियम में बच्चों को नियमित प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें करीब 80 खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। इन बच्चों में जूनियर नेशनल प्लेयर भी मौजूद हैं। उम्मीद है कि स्टेट चैम्पियनशिप में भी विदिशा के खिलाड़ी चयनित होंगे। वे कहते हैं कि अब खेल राजनीति के शिकार होने लगे हैं। नेताओं को उनके आगे-पीछे घूमने वाले युवा चाहिए और इसके लिए खिलाडिय़ों पर निशाना साधा जाता है।

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व्हॉलीबॉल: नेशनल प्लेयर और कोच रुद्रप्रताप
कॉलेज समय से ही खेलों के लिए रुद्र प्रताप सिंह का नाम अब भी व्हॉलीबॉल के खिलाड़ी और राष्ट्रीय के रूप में जाना जाता है। रुद्रप्रताप बताते हैं कि 1975 से 1982 तक वे सक्रिय खिलाड़ी रहे। वे विश्वविद्यालय की व्हॉलीबॉल के कप्तान रहे और मप्र टीम का भी नेतृत्व किया। उनके समय में विदिशा की टीम लगातार सात बार विश्वविद्यालय की चैम्पियन रही है। व्हॉलीबॉल में राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके रुद्र प्रताप ने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स से डिप्लोमा लेने के बाद से वे नेशनल कोच भी हैं। वे कहते हैं कि वो दौर और था। पहले की तुलना में अब खेल सुविधाएं बहुत बढ़ी हैं, लेकिन खिलाडिय़ों की रुचि इस खेल में नहीं रही। रुद्र प्रताप व्हॉलीबॉल के साथ ही एथलेक्टिस के भी यूनिवर्सिटी चैम्पियन रहे हैं।

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ताइक्वांडो: विश्वामित्र, विक्रम और एकलव्य अवार्डी
विदिशा में पिछले 20-22 वर्ष से जो खेल सबसे ज्यादा फलाफूला है वह है ताइक्वांडो। पुलिस लाइन में दिलीप थापा पुलिस ताइक्वांडो क्लब का संचालन करते हैं। 1995 से अब तक थापा ने अपने क्लब से करीब 250 मैडलिस्ट और करीब 400 नेशनल खिलाड़ी दिए हैं। थापा की उत्कृष्ट खेल सेवा के लिए मप्र सरकार ने उन्हें 2005 में विश्वामित्र अवार्ड से सम्मानित किया। जिले में अब तक ये एकमात्र कोच हैं जिनके चार शिष्यों रेणुका वर्मा, अतुल जाट, शालू रैकवार और अर्जुन रावत को विक्रम अवार्ड मिला है।

इसके साथ ही रेणुका वर्मा, अतुल जाट और निशा खान को एकलव्य अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। थापा की शिष्या शालू रैकवार एशियन गैम्स में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी है। शालू, अतुल जाट तीन बार और अर्जुन रावत एक बार इंटरनेशनल स्तर पर खेल चुके हैं। लगातार प्रशिक्षण और मेहनत से ताइक्वांडों ने तमाम खेलों के बीच अपनी गहरी छाप बनाई है।

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