इनमें कई कई मरीज गंभीर व चलने फिरने से लाचार भी आते हैं। वाहन से अस्पताल के गेट पर उतरने के बाद परिजन मरीज को डॉक्टर तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर तलाशते हैं पर स्ट्रेचर नहीं मिलता ऐसे में परिजनों को मरीज को गोद में तो कभी पीठ पर ले जाने की स्थिति बन रही है।
व्हील चेयर को लेकर यही स्थिति
गुलाबगंज निवासी शंकरसिंह राजपूत ने बताया कि पत्नी मेडिकल वार्ड में भर्ती है। डॉक्टर ने मलेरिया जांच के लिए बोल दिया। पत्नी चल नहीं पा रही और स्ट्रेचर से मलेरिया जांच के लिए ले जाना है। उसका कहना है कि आधे घंटे की तलाश के बाद स्ट्रेचर मिला। वह स्ट्रेचर को धकाते वार्ड तक पहुंचा और पत्नी को लेने वार्ड के अंदर पहुंचा था जब बाहर आया तो स्ट्रेचर कोई और ले गया। वह इस समस्या को लेकर परेशान होता रहा।
खुद परिजनों को चलाना पड़ता स्ट्रेचर
अस्पताल में स्ट्रेचर मिल भी जाए तो मरीज को स्ट्रेचर पर लिटाने से लेकर डॉक्टर को मरीज दिखाने और वार्ड में भर्ती करने के लिए मरीज को पलंग तक ले जाना यह सभी कार्य मरीज के परिजनों को ही करना पड़ रहा। ऐसे में किसी मरीज के साथ महिला या बुजुर्ग परिजन हो तो उसे मरीज को स्ट्रेचर पर ले जाने के लिए दूसरों के सामने मदद करने की मिन्नत करना पड़ रही है।
कुल चार स्ट्रेचर है जिला अस्तपाल में
जिले के इस सबसे बड़े अस्पताल में कुल चार स्ट्रेचर और दो व्हील चेयर ही उपलब्ध है। जबकि में हर दिन औसतन करीब 400 मरीज भर्ती रहते हैं और करीब इस समय एक हजार से अधिक मरीज ओपीडी में आ रहे। ऐसे में मरीजों के लिए इन संसाधनों की कमी महसूस हो रही। अस्पताल कर्मचारी बताते हैं पूर्व में अस्पताल में 10 स्ट्रेचर थे, अब 4 स्ट्रेचर से काम चलाया जा रहा है।
मामूली खराबी पर सुधार की तरफ नहीं ध्यान
कर्मचारियों के मुताबिक इन खराब स्ट्रेचरों में मामूली खराबी है। किसी का एक पहिया खराब होने के कारण कबाड़े में पटक दिया तो किसी के दो पहिये टूट गए और अनुपयोगी मान लिया गया। इसी तरह कई व्हील चेयर भी पहिये टेड़े होने के कारण कबाड़ में पड़ी है जबकि बहुत कम राशि में इनकी मरम्मत करके इन्हें उपयोगी बनाया जा सकता पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है।
पानी को भी मोहताज
जिला अस्पताल में गर्मी के दिनों में मरीजों के परिजनों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था के लिए वाटर कूलर लगाया गया था, लेकिन वह कई दिनों से बंद है। पंजीयन कक्ष के पास लगे इस वाटर कूलर का सर्वाधिक उपयोग मरीज व उसके परिजन करते थे लेकिन अब इस वाटर कूलर की दोनों टोटियां गायब है। इसके बंद हो जाने से मरीजों के परिजनों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
कर रहे व्यवस्था
कई स्ट्रेचर टूट गए जिससे इनकी संख्या कम हो गई है। स्ट्रेचरों की मरम्मत कराई जा रही है। यह समस्या शीघ्र दूर की जाएगी।
डॉ. संजय खरे, सिविल सर्जन जिला अस्पताल