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पत्रिका प्रतिभा सम्मान समारोह : इतने अंक लाना आसान नहीं, लेकिन जीवन की परीक्षा इससे भी महत्वपूर्ण

locationविदिशाPublished: Jul 21, 2019 11:57:59 am

जिले के 165 विद्यार्थियों का किया सम्मान ( Talents honored ) …

Talents honored

पत्रिका प्रतिभा सम्मान समारोह : इतने अंक लाना आसान नहीं, लेकिन जीवन की परीक्षा इससे भी महत्वपूर्ण

विदिशा। एक्जाम में 90 प्रतिशत या इससे ज्यादा अंक लाना आसान नहीं है, इसके लिए कड़ी मेहनत करना पड़ती है, लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है जीवन की परीक्षा। ये बात पत्रिका प्रतिभा सम्मान में विद्यार्थियों को सीख देते हुए कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने कही।

जीवन जीने की कला में मेहनत करें और कर्मपथ पर आगे बढ़ें। कलेक्टर ने शनिवार की शाम रविन्द्र नाथ टैगोर ऑडिटोरियम में आयोजित पत्रिका के इस समारोह में दसवीं-बारहवीं परीक्षा में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक पाने वाले जिले भर के 165 विद्यार्थियों को सम्मानित किया।

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ऑडिटोरियम हॉल में पत्रिका के प्रतिभा सम्मान समारोह का शुभारंभ देवी सरस्वती की पूजा और दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। अतिथियों के स्वागत कि पश्चात सबसे पहले नन्ही गायिका सौम्या शर्मा ने अपने गीत की प्रस्तुति दी और फिर सम्मान समारोह का सिलसिला चल पड़ा।

जीवन में एटीट्यूट जरूरी: एसपी
एसपी विनायक वर्मा ने विद्यार्थियोंं को सीख देते हुए कहा कि स्कूल छोडऩे के बाद भी जो आपके पास रहे वही असली शिक्षा है। उन्होंने कहा कि अच्छे अंक लाने के लिए सतत परिश्रम करें। लेकिन इससे ज्यादा जीवन में एटीट्यूट का रहना जरूरी है।

विदिशा में ही संभव कोटा की पढ़ाई: देवेन्द्र जैन
मोशन एज्यूकेशन एकेडमी कोटा के काउंसलर देवेन्द्र जैन ने बताया कि केवल कड़ी मेहनत ही नहीं बल्कि सही मार्गदर्शन भी सफलता के लिए जरूरी होता है। उन्होंने बताया कि मोशन एकेडमी कोटा की कक्षाओं का लाभ अब विदिशा में ही मिल सकेगा। इससे विद्यार्थियों का यहां-वहां भटकाव बच सकेगा। उन्होंने मोशन एज्यूकेशन एकेडमी के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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सेंट्रल एकेडमी स्कूल के संचालक डॉ. प्रेमशंकर शर्मा ने कहा कि वे पिछले कई वर्षों से केमेस्ट्री के एक्सपर्ट के तौर पर बेहतर शिक्षा देने का प्रयास विदिशा के विद्यार्थियों को कर रहे हैं। हमने यह साबित किया है कि बाहर जाकर ही नहीं बल्कि विदिशा में रहकर भी बड़े शहरों से बेहतर सफलता अर्जित की जा सकती है।
नन्हीं गायिका सौम्या ने बांधा समां
नगर की नन्ही गायिका सौम्या शर्मा ने ऐ मेरे वतन के लोगो…और दिल दिया है जान भी देंगे…गीत गाकर ऑडिटोरियम में समां बांध दिया। उनके गीत के दौरान बड़ी संख्या में लोग मोबाइल पर वीडियो बनाते रहे। कार्यक्रम के अंत में कलेक्टर सिंह सहित अतिथियों ने सौम्या को भी मैडल पहनाकर सम्मानित किया। सफल संचालन के लिए नीरज सिंह चौहान को भी सम्मानित किया गया।
अंकों की दौड़ में निराशा उचित नहीं
स्वागत भाषण में भोपाल के संपादक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि प्रतिभाओं का यह सम्मान बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत जरूरी है। जिनके 90 फीसदी से ज्यादा अंक आए हैं जो सम्मानित हो रहे हैं वो बहुत महत्वपूर्ण हैं। लेकिन अंकों की दौड़ में निराश न हों। आगे बढऩे का प्रयास निरंतर जारी रखें।

उन्होंने कहा कि इंटरनेट को अपना दोस्त बनाएं, दुश्मन न बनने दें। इस कार्यक्रम में पत्रिका के डीजीएम वीपीएस भदौरिया, पत्रिका भोपाल के यूनिट एडमिन हेड मुकेश अग्रवाल, प्रांतीय संपादकीय प्रभारी ब्रजेश कुमार तिवारी, प्रांतीय मार्केटिंग प्रभारी शैलेष श्रीवास्तव, समाजसेवी पूनम भार्गव आदि मौजूद थे।

मैडल, प्रमाण-पत्र मिले
जिलेभर से आए 165 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को भी अतिथियों के साथ मंच पर स्थान दिया गया था। विभिन्न शासकीय और अशासकीय स्कूलों के इन विद्यार्थियों में शहर के बच्चों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों से आए वे बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल थे, जिन्होंने बोर्ड परीक्षाओं में 90 फीसदी से ज्यादा अंक पाए थे। कार्यक्रम का संचालन नीरज चौहान ने किया। आभार पत्रिका के डीजीएम वीपीएस भदौरिया ने व्यक्त किया। समारोह में बड़ी संख्या में विद्यार्र्थी, पालक और गणमान्य लोग मौजूद थे।

कलेक्टर को याद आया अपना छात्र जीवन…
समारोह में कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने विद्यार्थियों के गले में मैडल पहनाते हुए अपने विद्यार्थी जीवन को याद किया और कहा कि मैंने भी जीवन में बहुत से मैडल प्राप्त किए हैं। मैं भी हाथ में लेकर बार-बार देखता था कि कितने मैडल और कितने सर्टिफिकेट हो गए, लेकिन आज उनका पता भी नहीं है कि वे कहां है।

दरअसल जिन्दगी में वही काम आता है जो गुरुओं ने सिखाया होता है। हर परीक्षा से महत्वपूर्ण है यह है कि आप दबाव में काम कैसे करेंगे। यदि उसमें सफल हो गए तो वाकई आप बहुत सफल हैं। उन्होंने अपना मौलिक जीवन जीने और असफलता के समय भी खुद को खुद की नजर से देखने का संदेश दिया। यह भी कहा कि असफलता के समय कभी खुद को दूसरों की नजर से न देखें।

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