दरअसल पॉस मशीन से हो रहे राशन वितरण के दौरान कार्ड धारक को मशीन पर अंगूठे का निशान लगाना होता है। यह योजना लागू करने के पीछे सोच थी कि किसी गलत आदमी को कोटे का राशन न मिल पाए। लेकिन अब वाजिब लोगों को भी कोटे के राशन से महरूम होना पड़ रहा है जिससे आम लोगों में आक्रोश है। बताया जा रहा है कि कोटेदार के पास जो मशीन है उसमें अंगूठा लगाने पर वह उसे स्वीकार नहीं कर रहा है नतीजतन कोटेदार राशन नहीं दे रहा। अब राशन नही मिल रहा तो निम्न आय वर्ग के लोगों के घरों में चूल्हा जलाना भी मुश्किल हो रहा है। न मिट्टी का तेल मिल रहा न राशन तो चूल्हा जले कैसे, खाना पके कैसे।
ऐसे में मनरेगा मजदूर यूनियन और मिहला चेतना समिति के सदस्य उतर आए सड़क पर निकाला जुलूस और पहुंच गए तहसील मुख्यालय। वहां जमकर प्रदर्शन किया। महिलाओं और मजदूरों का कहना है कि पिछले तीन महीने से राशन नहीं मिल रहा। वे कह रहे हैं कि पहले तो महज घटतौली तक की समस्या थी अब तो अंगूठा मिलान न होने से पूरा राशन ही गायब हो जा रहा। कुछ मिल ही नहीं रहा है। ऐसे में चिरईगांव और चोलापुर के 50 ग्राम पंचायत से जुड़े सैकड़ों मजदूरों को मजबूरन तहसील मुख्यालय आना पड़ा है।
इन महिलाओं और मनरेगा मजदूरों ने मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन के माध्यम से सरकार से राशन दिलाने की मांग की। उनका कहना है कि अभी तक हम सभी ग्रामवासियों को अपनी ग्रामपंचायत में कोटेदार से राशन मिलता रहा है। कहीं-कहीं कोटेदार द्वार खाद्यान्न वितरण में दिक्कतें भी आती थीं लेकिन इसका निस्तारण जिला स्तर पर हो जाता था। अब नवंबर 2018 से राशन वितरण पॉस मशीनों द्वारा किया जाने लगा। इन पॉस मशीनों से राशन वितरण में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं, मसलन…
मजदूरों की सीएम से मांग – हम छोटे किसान और मजदूर जो खेतों में काम करते हैं, अलग-अलग क्षेत्रो में मजदूरी करते हैं। इससे हमारे हाथों के निशान बनते बिगड़ते रहते हैं। लिहाजा अंगूठे के निशान का मिलान नहं हो पा रहा।
-दूर दराज के गांवों में सरवर डाउन होने से नेटवर्क नहीं मिलता जिससे राशन लेने के लिए लंबी-लंबी लाइन लग रही है। कमजोर नेटवर्क के कारण वितरण व्यवस्था बाधित है। पूरे दिन लाइन में खड़े होने के कारण बावजूद राशन नहीं मिल पा रहा है।
-हममें से बहुत से मजदूर साथी कई बार पूरा परिवार मजदूरी के लिए शहर चले जाते हैं। अगर तीन महीने से राशन नहीं लिया तो कार्ड डिलीट हो जाएगा और लौट कर आने पर राशन नहीं मिलेगा।
– कई लोगों के तो आधार में ही निशान नहीं मिलते वह राशन कैसे लेंगे
-हमारे राशन पर गांव, क्षेत्र व जिला का नियंत्रण न होने की बजाय किसी कंपनी का नियंत्रण हो गया है
-पंचायत की अन्य मजरों से दूरी दो से पांच किलोमीटर है। महिला मुखिया होने के कारण इससे उन्हें ही सर्वाधिक दिक्कत हो रही है।
-महिला का अंगूठा न मिलने पर बच्चों को भी अंगूठा मिलान के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है जिससे वो स्कूल नहीं जा पा रहे।
-लिहाजा पुरानी व्यवस्था बहाल की जाए। अन्यथा हम सभी अब जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन को बाध्य होंगे।
-दूर दराज के गांवों में सरवर डाउन होने से नेटवर्क नहीं मिलता जिससे राशन लेने के लिए लंबी-लंबी लाइन लग रही है। कमजोर नेटवर्क के कारण वितरण व्यवस्था बाधित है। पूरे दिन लाइन में खड़े होने के कारण बावजूद राशन नहीं मिल पा रहा है।
-हममें से बहुत से मजदूर साथी कई बार पूरा परिवार मजदूरी के लिए शहर चले जाते हैं। अगर तीन महीने से राशन नहीं लिया तो कार्ड डिलीट हो जाएगा और लौट कर आने पर राशन नहीं मिलेगा।
– कई लोगों के तो आधार में ही निशान नहीं मिलते वह राशन कैसे लेंगे
-हमारे राशन पर गांव, क्षेत्र व जिला का नियंत्रण न होने की बजाय किसी कंपनी का नियंत्रण हो गया है
-पंचायत की अन्य मजरों से दूरी दो से पांच किलोमीटर है। महिला मुखिया होने के कारण इससे उन्हें ही सर्वाधिक दिक्कत हो रही है।
-महिला का अंगूठा न मिलने पर बच्चों को भी अंगूठा मिलान के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है जिससे वो स्कूल नहीं जा पा रहे।
-लिहाजा पुरानी व्यवस्था बहाल की जाए। अन्यथा हम सभी अब जिला स्तर पर धरना प्रदर्शन को बाध्य होंगे।