बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में हाल-फिलहाल सपा प्रमुख विपक्षी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है। बसपा को पीछे ढकेल दिया है। ऐसे में कार्यकर्ता भी यह उम्मीद कर रहे थे कि पार्टी अध्यक्ष इस उपचुनाव में कोई ऐसी रणनीति अपनाएंगे जिससे सभी 11 सीटों पर पार्टी का कब्जा हो सके। लेकिन ऐसा दिख नहीं रहा।
सबसे अहम् सवाल यह है कि अखिलेश ने पहले ही यह कहा था कि वह उपचुनाव में प्रचार को कहीं नहीं जाएंगे। वैसे भी अखिलेश यादव उपचुनाव या पंचायत चुनाव अथवा निकाय चुनावों में प्रचार को कहीं नहीं जाते। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर उनका यह स्टैंड है तो उस पर कायम रहना चाहिए।
लेकिन उन्होंने हाल ही में रामपुर जाने की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद से ही कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उनका कहना है कि यह सही है अखिलेश यादव जहां जाते हैं वो सीट सपा जीत जाती है। अगर इसे टोटका माना जाय तो यह तो अच्छा मौका था प्रदेश की सभी 11 सीटों को जीतने का, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। सर्वाधिक नाराजगी पूर्वांचल के कार्यकर्ताओं में दिख रही है। उनका कहना है कि यूपी को फतह करना है तो पूर्वांचल पर अपनी पकड़ बनाना जरूरी है ऐसे में अखिलेश को घोसी जाना चाहिए। लेकिन 19 अक्टूबर को अखिलेश यादव रामपुर में पार्टी की प्रत्याशी और आज़म खान की पत्नी तजीन फातिमा के समर्थन में चुनावी जनसभा करेंगे।
वैसे यह तर्क भी दिया जा रहा है कि रामपुर की सीट समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। राज्य की जिन 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उसमें से इकलौती यही सीट समाजवादी पार्टी के पास थी। लिहाजा अखिलेश इसे गंवाना नहीं चाहते।
यही नहीं कार्यकर्ताओं का कहना है कि एक और बात समझ से परे है कि आज़म खान की पत्नी तजीन फातिमा पहले से राज्यसभा की सदस्य हैं। फिर यूपी विधानसभा में सपा की इतनी सीटें नहीं हैं कि वह फातिमा के एमएलए बनने के बाद राज्यसभा से रिक्त सीट पर अपना आदमी भेज सकें। ऐसे में अगर फातिमा रामपुर से विधायक बनती हैं तो राज्यसभा में सपा की एक सीट खाली हो जाएगी जिसे हासिल कर पाना आसान नहीं होगा।