सारनाथ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर दो के ट्रैक पर १७ सितम्बर को आरएसएस कार्यकर्ता शशिकांत राय का शव मिला था। गाजीपुर के रेवतीपुर जिला के रामपुर थाना क्षेत्र के निवासी शशिकांत राय बनारस में किराये का मकान लेकर रहते थे। कैंट थाना क्षेत्र के दौलतपुर स्थित विश्वनाथ पुरी कॉलोनी में रहने वाले शशिकांत राय एक निजी इंश्योरेंस कंपनी से जुड़़कर काम करते थे और दिन दिनों आरइएस में ठेकेदारी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था। साथ ही आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के प्रेमचन्द्र नगर के व्यवस्था प्रमुख भी थे। शशिकांत राय प्रतिदिन सुबह घर से टहलने के लिए निकलते थे। 17 अक्टूबर को घर में ही मोबाइल छोड़ कर भोर में टहलने निकले थे और वापस नहीं लौटे। काफी देर तक नहीं लौटने पर परिजन परेशान हो गये थे। इसी बीच सुबह साढ़े सात बजे पुलिस का फोन आता है कि शशिकांत राय का रेलवे ट्रैक पर शव मिला है। सूचना मिलते ही परिजनों में हाहाकार मच गया था।
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ट्रेन के सामने कूदे थे शशिकांत राय
जिस ट्रेन से शशिकांत राय की मौत हुई है उसके चालक ने मेमो में दर्ज कराया है कि शशिकांत राय ट्रेन के सामने रेलवे ट्रैक पर कूद गये थे। इसी आधार पर जीआरपी इसे सुसाइड केस मान रही है और तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज नहीं किया है। मृतक के पिता मणीन्द्रनाथ राय ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए जीआरपी में तहरीर दी है। जीआरपी की जांच के बाद पता चलेगा कि आरएसएस कार्यकर्ता की कैसे मौत हुई है लेकिन कुछ सवाल है जिनसे घटना का लेकर संदेह पैदा हो रहा है। शशिकांत राय रोज घर के पास टहलते थे तो सारनाथ रेलवे स्टेशन कैसे पहुंचे। आरएसएस कार्यकर्ता ट्रेन के आगे कूदे तो उनके पैर ही क्यों टूटे थे। पीठ पर चोट के निशान नहीं थे। जीआरपी के पास अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ चुकी है इसके बाद घटना के सही कारण का खुलासा होना आसान हो गया है।
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जिस ट्रेन से शशिकांत राय की मौत हुई है उसके चालक ने मेमो में दर्ज कराया है कि शशिकांत राय ट्रेन के सामने रेलवे ट्रैक पर कूद गये थे। इसी आधार पर जीआरपी इसे सुसाइड केस मान रही है और तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज नहीं किया है। मृतक के पिता मणीन्द्रनाथ राय ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराने के लिए जीआरपी में तहरीर दी है। जीआरपी की जांच के बाद पता चलेगा कि आरएसएस कार्यकर्ता की कैसे मौत हुई है लेकिन कुछ सवाल है जिनसे घटना का लेकर संदेह पैदा हो रहा है। शशिकांत राय रोज घर के पास टहलते थे तो सारनाथ रेलवे स्टेशन कैसे पहुंचे। आरएसएस कार्यकर्ता ट्रेन के आगे कूदे तो उनके पैर ही क्यों टूटे थे। पीठ पर चोट के निशान नहीं थे। जीआरपी के पास अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ चुकी है इसके बाद घटना के सही कारण का खुलासा होना आसान हो गया है।
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